राजनीति

बांग्लादेश से हिन्दुओं को समाप्त करने का षड्यंत्र

विगत 13 अक्टूबर से दुर्गा पंडालों पर सुनियोजित तरीके से हमले किए गए जिनमें 4 हिंदुओं की मृत्यु हुई और 60 से ज्यादा लोग घायल हुए। कई दुर्गा पंडालों को क्षत विक्षत किया गया, उनमें आग लगाई गई, मूर्तियों को तोड़ा गया। बांग्लादेश में हिंदुओं पर होने वाले अत्याचार और हमले यह कोई नई बात नहीं है, बांग्लादेश की जन्म के बाद से ही अल्पसंख्यक हिंदुओं पर लगातार कट्टरपंथियों द्वारा अत्याचार होते रहे। 90 के दशक में बाबरी मस्जिद के तोड़े जाने की अफवाह को लेकर कई हिंदुओं को मारा दिया गया था। आज भी ये कट्टरपंथी कुरान और मोहम्मद की बेअदबी के बहाने निरीह हिंदुओं को अपना निशाना बनाते हैं, विगत कई दिनों से हो रही इन घटनाओं में नोआखली ढाका व बांग्लादेश के कई शहर इसकी चपेट में है, जहां कट्टरपंथी तंजीम के द्वारा हिंदू घरों, हिंदू मंदिरों, इस्कॉन मंदिर को निशाना बनाया गया। इस्कॉन बांग्लादेश ने अपने ट्विटर अकाउंट पर कई विभत्स तस्वीरों को पोस्ट किया जो कि बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदुओं पर होने वाले अत्याचारों को प्रदर्शित करती है, इसके विरोध में कोलकाता में बांग्लादेश के उप उच्चायोग के सामने हजारों लोगों ने प्रदर्शन किया। आज यह विषय सबसे बड़ा है क्या किसी देश के अल्पसंख्यकों की रक्षा का दायित्व देश की सत्ता का नहीं होता। भारत में एक मुसलमान पर हमले को पूरे देश मे दिखाया जाता है करोड़ो की मदद की जाती है। परन्तु बांग्लादेश का अल्पसंख्यक हिन्दू इतना सौभाग्यशाली नही है कि उस पर लगातार होते अत्याचारों की कहानी विश्व के सामने उस परिप्रेक्ष्य में रखी जाती हो। हां यह सही है कि शेख हसीना सरकार बांग्लादेश में शांति बनाए रखने के लिए लगातार प्रयत्नशील रही और इसी कारण इस्लामिक कट्टरपंथी संगठनों के निशाने पर भी रही। एक इस्लामिक संस्था के अध्यक्ष ने सरकार को यह धमकी तक दे दी थी कि बांग्लादेश की हर मूर्ति को गिरा दिया जाएगा फिर चाहे वह किसी की भी हो उसका यह बयान बंग बंधुओं की लगी मूर्ति को लेकर था बंगबंधु वे हैं जिनका योगदान बांग्लादेश निर्माण में महत्वपूर्ण रहा। बांग्लादेश के अंदर समस्त पंथ के लोग स्वतंत्रता पूर्वक अपने पंथ के नियमों का पालन करें यह उनके विचार थे।
बांग्लादेश के सूचना राज्य मंत्री मुराद हसन ने कहा कि बांग्लादेश एक सेक्युलर राष्ट्र है और हम राष्ट्रपति बंगबंधु शेख मुजिबर रहमान के बनाए हुए 1972 वाले संविधान की ओर लौटेंगे। बांग्लादेश कभी भी धार्मिक कट्‌टरपंथियों की पनाह गाह नहीं हो सकता।

शेख हसीना की चेतावनी : बांग्लादेश की प्रधानमंत्री हिंदू नेताओं के साथ बैठक में पहले ही हमले के दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई का वादा कर चुकी हैं और मामले में कई संदिग्धों को गिरफ्तार किया गया है। हिंसा को लेकर प्रधानमंत्री शेख हसीना ने चेताया है कि हिंदू मंदिरों और दुर्गा पूजा स्थलों पर हमलों में शामिल किसी भी शख्स को बख्शा नहीं जाएगा।

दुर्गा पूजा के मौके पर पंडालों और मंदिरों में तोड़फोड़ का सामना करने वाले बांग्लादेशी हिंदुओं के लिए हिंसा का यह पहला वाकया नहीं है। इससे पहले भी अकसर बांग्लादेशी हिंदू उत्पीड़न का शिकार होते रहे हैं। एक राइट्स ग्रुप के मुताबिक बीते करीब 9 सालों में बांग्लादेश में हिंदुओं को 3,721 घरों और मंदिरों में तोड़फोड़ झेलनी पड़ी है। ढाका ट्रिब्यून ने आइन ओ सालिश केंद्र की रिपोर्ट के हवाले से कहा कि बीते 5 सालों में 2021 सबसे खतरनाक रहा है। इस साल हिंदू समुदाय को बांग्लादेश में बड़े पैमाने पर हमले झेलने पड़े हैं। बांग्लादेश में कट्टरपंथी तत्व बीते कुछ सालों में तेजी से मजबूत हुए हैं।
इस साल अब तक हिंदू समुदाय को घरों और मंदिरों पर 1,678 हमलों का सामना करना पड़ा है। हिंदुओं को अपने धर्म के पालन करने और जीवनयापन करने में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। हिंदुओं के मंदिरों को नुकसान पहुंचाए जाने के कई वाकये सामने आए हैं। हाल ही में नवमी के दिन कमिला इलाके में हिंदू मंदिरों और दुर्गा पूजा के पंडालों में तोड़फोड़ की घटनाएं सामने आई थीं। इस दौरान करीब 4 घंटे तक कट्टरपंथियों ने उपद्रव किया था। इस हिंसा के दौरान 4 लोगों की मौत हो गई थी और 22 जिलों में तनाव के चलते सेना को तैनात करना पड़ा था।

बांग्लादेश के गृहमंत्री ने भी लगातार होते हम लोग को पूर्व नियोजित बताया है शेख हसीना सरकार को बदनाम करने की इस्लामिक कट्टरपंथियों की साजिश बताया है ताकि बांग्लादेश और भारत के संबंधों में फिर से कड़वाहट खोली जा सके आवश्यकता यह भी है कि भारत का विदेश मंत्रालय बांग्लादेश सरकार से वहां रहने वाले अल्पसंख्यक हिंदुओं के जान-माल की रक्षा के लिए विशेष प्रयत्न करने के लिए बांग्लादेश सरकार को तैयार करें क्योंकि बांग्लादेश में हिंदुओं पर होने वाले हमलों से भारत के हिंदू समाज में भी आक्रोश का वातावरण बन सकता है।  अभी जो इन घटनाओं का विरोध बंगाल व कलकत्ता में हुआ, यह देशव्यापी भी हो सकता है। बांग्लादेश सरकार को इन घटनाओं को रोकने के लिए बहुत कठोर निर्णय लेना होंगे, ऐसा लगता है जैसे बांग्लादेश किसी संविधान से नही किसी कट्टपंथी किताब से चल रहा हो। आये दिन अल्पसंख्यक हिन्दूओं पर होते हमले यही दर्शा रहे है। यह नफरत भरा जहर अफगानिस्तान, पाकिस्तान व बांग्लादेश में देखने को अधिक मिलता है, जो पहले कभी बड़ी हिन्दू रियासतें हुआ करती थी, जबकि बांग्लादेश को तो भारतीय सेना ने मुक्त कराया 1971 में यदि भारत सहयोग के लिए आगे ना आता तो पाकिस्तानी सेना करोड़ों बंगलादेशियो को मार चुकी होती। फिर भी बंग्लादेश के मुक्त होते होते पाकिस्तानी सेना ने वहां भीषण रक्तपात किया था हजारों बंगलादेशियो को मार डाला था। तब पाकिस्तानी सेना और उनके समर्थित रजाकारों के कई वर्षों के अत्याचारों से तंग बंगलादेश की जनता के लिए भारतीय सेना भगवान का अवतार बनकर आई थी। आज यदि आवश्यकता पड़ती है तो सेना वही शौर्य बांग्लादेश पाकिस्तान या चीन में दिखा सकती है। इन इस्लामिक हमलों में चीन के हस्तक्षेप से इनकार नही किया जा सकता। जिस प्रकार चीन और तालिबान की सांठगांठ अब जग जाहिर होचुकी है, तालिबान का प्रभाव बांग्लादेश की इस्लामिक तंजीमो पर बहुत अधिक है, बांग्लादेश से तालिबान में युवाओं की बड़ी संख्या में भर्ती इसी आधार पर हुई थी। इसलिए यह एक षड्यंत्र भी हो सकता है जिससे कि बांग्लादेश को भारत से दूर किया जा सके, तब चीन के अलावा बांग्लादेश के पास कोई सहयोगी ना होगा। इसे देखते हुए सरकार को सामरिक स्तर पर प्रयास करके इसे सभी षडयंत्रो को विफल करना चाहिए, साथ ही अल्पसंख्यक हिन्दुओ की रक्षा के लिए किए जाने वाले प्रबन्धों की समीक्षा के लिए संयुक्त राष्ट्र संघ और मानवाधिकार संस्थाओं के माध्यम से भी प्रयास किए जाने की आवश्यकता है।
बांग्लादेशी हितों की रक्षा के लिए अल्पसंख्यक हिन्दुओ की रक्षा अत्यंत आवश्यक है वरना निकट भविष्य में बांग्लादेश भी इस्लामिक राष्ट्र बनकर अल्पसंख्यको के लिए शमशान बन जायेगा।

— मंगलेश सोनी

*मंगलेश सोनी

युवा लेखक व स्वतंत्र टिप्पणीकार मनावर जिला धार, मध्यप्रदेश