मुक्तक/दोहा

तन हरियर दूब हुआ

नयन तीर से घायल उर पीड़ा घाव भरा।
स्नेह लेप लगा प्रिये, दो सम्बल छांव भरा।
एक बार देख सखी झांक हृदय में मेरे,
दिल में है मृदु प्यार बहुत निर्मल भाव भरा।।
जग के व्यवहार निभाते मानस ऊब गया।
मिला स्पर्श तुम्हारा तन हरियर दूब हुआ।
अलकों की सघन छांव में पुष्पित प्रेम जगा।
हाथों में चांद लिए सपनों में डूब गया।
प्रेम डगर में चलते ही दुनिया बदल गयी।
मन-सरिता की भटकन, धार-दिशा बदल गयी।
जब-जब हारा खुद से तुम्हें देखता आया,
उर की पीड़ा मुसकायी, सांसें संभल गयी।
— प्रमोद दीक्षित मलय

*प्रमोद दीक्षित 'मलय'

सम्प्रति:- ब्लाॅक संसाधन केन्द्र नरैनी, बांदा में सह-समन्वयक (हिन्दी) पद पर कार्यरत। प्राथमिक शिक्षा के क्षेत्र में गुणात्मक बदलावों, आनन्ददायी शिक्षण एवं नवाचारी मुद्दों पर सतत् लेखन एवं प्रयोग । संस्थापक - ‘शैक्षिक संवाद मंच’ (शिक्षकों का राज्य स्तरीय रचनात्मक स्वैच्छिक मैत्री समूह)। सम्पर्क:- 79/18, शास्त्री नगर, अतर्रा - 210201, जिला - बांदा, उ. प्र.। मोबा. - 9452085234 ईमेल - pramodmalay123@gmail.com