बाल कविता

जब नल में नहीं आता पानी

बाल गीत

जब नल में नहीं आता पानी,
मुझे याद आ जाती नानी.

पानी बिन मैं कैसे नहाऊं?
क्या गंदी ही शाला जाऊं?

पानी सबकी प्यास बुझाए,
पानी बिन पौधे मुरझाए.

पानी से ही गूंधें आटा,
वरना हो रोटी से टा टा.

सब्जी-दाल बनें पानी से,
अन्न-फल-फूल उगें पानी से.

पानी से हो साफ सफाई,
और होती कपड़ों की धुलाई.

पानी से बनती है बिजली,
चाहे भारत हो या इटली.

कल-पुर्जे चलते पानी से,
यातायात चले पानी से.

पानी बिन मछली मर जाए,
कूलर भी कैसे चल पाए?

पानी से ही बनते बादल,
फिर वर्षा वे करते आकर.

पानी देता जीवनदान,
करता सब जग का कल्याण.

जब नल में नहीं आता पानी,
मुझे याद आ जाती नानी
15.7.1986

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244