कविता

पंच पर्व

आया पंच श्रंखला का
त्योहार आओ जाने
इसका सार पहला दिन
धनतेरस का यम कुबेर
धन्वंतरि का।
धनवंतरी के पूजन से
स्वास्थ्य लाभ भी पाया जाता
यम का दीप जलाया जाता।
दूसरा दिन नरक चतुर्दशी
या रूप चौदस का
कहते हैं अत्याचारी
नरकासुर का वध
होने के कारण।
सोलह हजार एक सौ
कन्याओं ने दीपों की
बारात सजाई।
तीसरा दिन है दीपावली
श्री राम के स्वागत में
अयोध्या में खुशी के
दीप जले जगमग जगमग।
होती दुनिया घर-घर
प्यार के दीप जले
लक्ष्मी गणेश का पूजन
करके आतिशबाजी
और जागरण होता।
चौथा दिन गोवर्धन पूजा का,
श्री कृष्णा ने गोकुल की
रक्षा के खातिर गोवर्धन
उंगली पर उठा लिया था।
इंद्र का अहंकार टूटा
शुरू हुई गोवर्धन पूजा।
पांचवा दिन भाई दूज का
बहने यम देव की पूजा करती।
भाई को तिलक लगाकर
लंबी उम्र की कामना करतीं।
और चित्र गुप्त की पूजा होती
लेखन वाणी विद्या का
मांगते हैं वरदान।
हर्षोल्लास से त्यौहार मनाते
मिलती हैं खुशियां अपार।
— वंदना यादव

वंदना यादव

वरिष्ठ कवयित्री व शिक्षिका,चित्रकूट-उत्तर प्रदेश