कविता

नारी का सम्मान

नारी सृष्टि का आधार है,
गौरव है, अभिमान है,
खिली भू पर जब से,
कल्पना सी अम्लान है,
घर आंगन की बहार है नारी,
प्रकृति के लीला का विस्तार है,
सुर्य शशि की नख ज्योति सी,
पुरूष के जीवन का उपहार है,
फूलों से सज्जित क्यारी,
ममता की अनुपम पहचान है,
प्रेम लुटा कर तन मन धन
करती बलिदान है,
पर्व, तीज, त्योहार, व्रत, उपासना
मां, बहन, बेटी-बहूं है मर्यादा गहना,
महाभारत का मूल थी नारी,
रामायण की सीता बलिहारी,
आज भी क्यों बेबस हैं नारी,
सबल दक्ष और सक्षम है नारी,.
लोक संस्कृति समृद्धि

नारी का वरदान
सोच बदल कर, युग बदलो
करो नारी का सम्मान।

— सुनीता सिंह सरोवर

सुनीता सिंह 'सरोवर'

वरिष्ठ कवयित्री व शिक्षिका,उमानगर-देवरिया,उ0प्र0