सामाजिक

लिखना कभी न छोड़ें

लेखक लेखिका कविता कहानी लघुकथा संस्मरण नाटक उपन्यास लेख किसी भी विधा में लिखें लेकिन अनवरत लिखते रहें। लिखना मंजिल नहीं , एक अनवरत यात्रा है। रचना में समस्या के साथ समाधान भी प्रस्तुत किया जाना चाहिए। पाठक पाठिका रचनाकार से अपेक्षा रखते हैं कि उनकी समस्या का समाधान मिलेगा। जो हो रहा है वह लिखना समाचार है। जो होना चाहिए वह लिखना साहित्य है। लिखते रहने से कई बीमारियों से बचाव होगा। मेरे जीवन की दोपहर में जीवन संगिनी ईश्वर के यहां चली गई , लेकिन मैने परमाणु ऊर्जा प्रबंधन साहित्य हर क्षेत्र में लिखना नहीं छोड़ा। इसी कारण मैं तनाव डिप्रेशन से दूर हूं। ब्लड प्रेशर एवम शुगर लेवल कंट्रोल करने के लिए लिखते रहना संजीवनी है। जीवन के आंधी तूफान के बाद भी लिखते रहने से शारीरिक एवम मानसिक रूप से अधिक स्वस्थ रह सकते हैं। विद्यार्थी एवम प्रतियोगिता परीक्षाओं के उम्मीदवार जो पढ़ते हैं उसे लिखें भी। लिखने से नोट्स बन जायेंगे। रटने की आवश्यकता नहीं होगी। परीक्षा पूर्व रिवीजन के लिए लिखित नोट्स बहुत उपयोगी होंगे। लेखक लेखिका नहीं भी हैं तो भी प्रतिदिन डायरी लिख सकते हैं। पोस्ट ऑफिस से पोस्टकार्ड लेकर आइए। पत्र लिखिए। रिश्तेदारों फ्रेंड्स को जन्म दिन पर हस्त लिखित पत्र में शुभकामना संदेश भेजिए। फेसबुक व्हाट्सएप पर भी बधाई भेजना जारी रखिए। ये संदेश डिलीट हो जायेंगे। स्क्रीनशॉट बहुत कम व्यक्ति रखेंगे। प्रिंट तो शायद ही कोई लेगा। लेकिन हाथ से लिखा पोस्टकार्ड बरसों तक सुरक्षित फाइल में रखा जा सकता है। एक दो सप्ताह पूर्व डाक में डाल दें। देरी से भी मिलेगा तो कोई परेशानी नहीं। उस शुभ दिन व्हाट्सएप पर बधाई तो दे ही रहे हैं। लिखने से आत्मीयता बढ़ेगी। स्वयं का सुलेख अच्छा रहेगा। लीक से हटकर हाथ से लिखा पत्र पाने वाले को खुशी देगा।  नई टेक्नोलॉजी के समय भी लिखना ऊर्जा शक्ति देगा। लिखना सरल सहज है। अपने विचार व्यक्त करने का एक व्यक्तिगत माध्यम है। फॉरवर्ड किए मैसेज कोई नहीं पढ़ता। पोस्टकार्ड परिवार में प्रत्येक सदस्य पढ़ सकता है। अपनी जड़ों से जुड़े रहिए। नव वर्ष एवम  त्यौहार पर भी पत्र लिखे जा सकते हैं। पत्रिका समाचार पत्र के संपादक को पत्र भेजिए। रचना अस्वीकृत हो सकती है। लेकिन पत्र अवश्य ही प्रकाशित होगा। बच्चों को लिखने की प्रैक्टिस करवाइए। कागज़ पर पेन से लिखने से स्मरण शक्ति बढ़ती है। लिखने के लिए अवसर  बहुत हैं। समय भी मिल जायेगा। इच्छा शक्ति होगी तो पहला कदम उठा कर लिखना  होता रहेगा। मैं74 वर्ष की अवस्था में  लिखता हूं। आप भी लिखिए। लिखना कभी न छोड़े। हैप्पी लिखना !
— दिलीप भाटिया

*दिलीप भाटिया

जन्म 26 दिसम्बर 1947 इंजीनियरिंग में डिप्लोमा और डिग्री, 38 वर्ष परमाणु ऊर्जा विभाग में सेवा, अवकाश प्राप्त वैज्ञानिक अधिकारी