कविता

सुबह शाम

हर रोज सुबह शाम होती है
हमेशा अविराम होती है,
सुबह नई उम्मीद लाती है
नया विश्वास जगाती है।
जीवनपथ पर आगे बढ़ने के
हमें सपने दिखाती है,
हर सुबह हममें निरंतर
अग्रसर होने का भाव जगाती है।
हर सांझ विश्राम के अवसर लाती है,
इंसान हो या पशु पक्षी
घर से बाहर जो भी हों
उन्हें उनके कुटुंबों की
प्रतीक्षा का संदेश सुनाती है।
दिन भर की मेहनत से
थोड़ा ठहरने और सूकून का
अवसर भी लाती है
दिनभर की शारीरिक ऊर्जा क्षरण के
पुर्नसंंचयन का समय भी लाती है।
सुबह हो शाम हर रोज
अपना कर्तव्य निभाती है,
जीवन में सुख हो या दुख
खुशी हो या फिर गम,
जीवन चलते रहने का नाम है,
हर सुबह हर शाम इसीलिये आती है
अपना संदेश सबको सुनाती है।

 

*सुधीर श्रीवास्तव

शिवनगर, इमिलिया गुरूदयाल, बड़गाँव, गोण्डा, उ.प्र.,271002 व्हाट्सएप मो.-8115285921