मुक्तक/दोहा

मुक्तक

नशा नाश करता भवन, और जलाता खून।
बिनु इसके जी देखिए, स्वाद बढ़ाता नून।
आदत भली कभी नहीं, रुक रुक पीजै दूध-
मदिरा थी औषधि कभी, पान बिना विष चून।।-1

अब शराब में दम कहाँ, खौल रहा है खून।
दुबला पतला आदमी, पानी पीता भून।
नशा दशा से कह रही, पी मत प्यारे मूल-
गल जाएगा देख ले, जोंख मरे छू नून।।-2

महातम मिश्र गौतम गोरखपुरी

*महातम मिश्र

शीर्षक- महातम मिश्रा के मन की आवाज जन्म तारीख- नौ दिसंबर उन्नीस सौ अट्ठावन जन्म भूमी- ग्राम- भरसी, गोरखपुर, उ.प्र. हाल- अहमदाबाद में भारत सरकार में सेवारत हूँ