कविता

आनंद-फल का मधुरस पी लो

वर्तमान की खिड़की खोलो, झांक रहा है नव उल्लास।
बीता कल इतिहास हो गया, आने वाला कल आभास॥
वर्तमान के वातायन से, अभी मिल रहा नव उजियार।
जागरुकता की नव किरणों से, यह उजियार बने उपहार॥
वर्तमान के इन्हीं पलों से, संवरेगा आगामी कल।
भूतकाल की भूलों को भी, सकें सुधार ये आज के पल॥
अपने भाव सकारात्मक हों, भाव ही शब्दों के सर्जक हैं।
अपने शब्द सकारात्मक हों, शब्द व्यवहार के प्रेरक हैं॥
अपना व्यवहार सकारात्मक हो, व्यवहार से आदतें निर्मित हों।
अपनी आदतें सकारात्मक हों, जीवन-मूल्य सुसंस्कृत हों॥
जीवन-मूल्य सकारात्मक हों, ये ही भाग्य के सुमन खिलाएं।
भाग्य ही अपना आज सजाए, आने वाले पल महकाए॥
भूतकाल के भूत को छोड़ो, आगामी कल हो-ना-हो।
वर्तमान जीवट से जी कर, आनंद-फल का मधुरस पी लो॥

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244