कविता-सृजन पर ऑनलाइन विचार गोष्ठी
मंडला— नया साल फिर से अपने साथ नई उम्मीदें, नई आशाएं, नया उत्साह, नया लक्ष्य और नए वायदों के साथ कुछ नए सपनों को लेकर अवतरित हुआ है l भारतीय युवा साहित्यकार परिषद के तत्वाधान में फेसबुक के “अवसर साहित्यधर्मी पत्रिका ” के पेज पर ऑनलाइन “हेलो फेसबुक कवि सम्मेलन ” (अलविदा 2021: स्वागत 2022) के संयोजक सिद्धेश्वर ने संचालन के क्रम में उपरोक्त उद्गार व्यक्त किये ! नए वर्ष में साहित्यकारों से अपेक्षाएं ” विषय पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि -” साहित्य व्यक्ति और समाज के लिए पथ प्रदर्शक, दिग्दर्शक और बहुउपयोगी तभी होगा, जब वह सिर्फ पुस्तकालय और सम्मानों की शोभा बढ़ाने के उद्देश्य से ना लिखा जाए, बल्कि आम लोगों की बात व्यवहार में उतर जाने, उसकी विकृत और विकलांग मानसिकता में ताजगी और ऊर्जा लाने का सार्थक प्रयास भी कर सके l नए साल में साहित्यकारों से, खासकर युवा साहित्यकारों से ऐसी अपेक्षाएं तो जरूर की जा सकती हैं कि वे नए साल को अपनी सृजनात्मक उर्जा से अ
आलोकित कर सकें !”
मुख्य अतिथि वरिष्ठ गीतकार शिव कुमार पराग ( वाराणसी )ने कहा कि -” आज जाते हुए वर्ष की विदाई और आगत नव वर्ष के स्वागत के अवसर पर यह संवाद आयोजित करने हेतु इसके संयोजक व कथाकार, कवि, संपादक, चित्रकार श्री सिद्धेश्वर जी यकीनन धन्यवाद के पात्र हैं,जिन्होंने कोरोना काल से आज तक युवा प्रतिभाओं को सतत सृजनशील रखा हुआ है l सिध्देश्वर जी ने अनेक नये कवियों को जन्म दिया है। वर्तमान वर्ष हम सबको तमाम खट्टी-मीठी यादें सौंपकर जा रहा है। इस वर्ष हम सब जिन नए अनुभवों से समृद्ध हुए हैं, नए आगत वर्ष में हम अपने निजी और सामाजिक जीवन के उन पायों को दुरुस्त करें, जो जीवन की आपाधापी में अब कुछ-कुछ हिलने लगे हैं. हम सम्बन्धों में नई ऊष्मा का संचार करें और अपनी आत्मीयता की परिधि का विस्तार करें। नए वर्ष में हम ‘स्व’ से तनिक बाहर आएं !”
इस कवि सम्मेलन के विशिष्ट अतिथि प्रो(डॉ.)शरद नारायण खरे (म.प्र.)ने कहा कि-“कवियों को कविता के प्रति गंभीर होना होगा l नव वर्ष में मेरी कवियों से विशेषकर व्हाट्सएप पटलों से जुड़े कवियों से यही अपेक्षाएँ हैं कि वे कविता को गंभीरता से लें,जिससे उनके द्वारा सृजित कविता में गुणवत्ता आ सके। “
अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में डॉ. सविता मिश्रा माधवी ( बेंगलुरु) ने कहा कि-” नए साल में साहित्यकार सस्ती लोकप्रियता से बाहर आकर समाज के लिए कुछ सार्थक करें l” डॉ. अर्चना त्रिपाठी ने कहा कि – ” समाज को एक नई दिशा देने की उम्मीद होती है साहित्यकार से l पक्ष या विपक्ष में साहित्यकारों की एक नई दृष्टि होनी चाहिए, नई सोच होनी चाहिए ! ” अपूर्व कुमार (वैशाली ) ने कहा कि -” कवि से राष्ट्र के समस्त नागरिकों की कुछ अपेक्षाएं होती हैं l ठीक उसी तरह होती है जैसे किसी चिकित्सक के चिकित्सा शोध का इंतजार पूरी दुनिया को रहता है l ” कवियों से यह अपेक्षा की जाती है कि उनकी लेखनी गुटबाजी, राजनीति अथवा किसी बात से प्रेरित न होकर मानवतावादी दृष्टिकोण पर आधारित हो !”
नए वर्ष के स्वागत में देश भर के तीन दर्जन से अधिक कवियों ने भाग लिया l डॉ. गोरख प्रसाद मस्ताना (बेतिया ) ने ” क्यों फूल नहीं है मुस्काते ? खग -विहग क्यों नहीं है गाते ? क्यों पवन नहीं सन सन करता! क्यों नहीं ख्वाब सुख के आते ?”/शिव कुमार पराग (वाराणसी )ने ” उठते हैं, गिरते हैं हम , बार बार भंवर से निकल कर, लहरों पर तिरते हैं हम !”/ डॉ. आरती कुमारी ( मुजफ्फरपुर )ने -” एक हो जाते ये दिन रात तो अच्छा होता, फिर न होती ये मुलाकात तो अच्छा होता ! मौसम ए गुल में भी, लगता है फिजां का मौसम, तुम अगर होते मेरे साथ तो अच्छा होता !”/डॉ. बी एल प्रवीण (डुमरांव ) ने -” सांसों का सरगम फिर से, बन मिसाल छाने वाला है, नया साल आने वाला है !”/
विज्ञान व्रत ( नोएडा) ने – ” मुझको अपने पास बुला कर, तू भी अपने साथ रहा कर ! अपनी ही तस्वीर बनाकर, देख ना पाया आंख उठाकर!”/ भगवती प्रसाद द्विवेदी ने -” सपने भरते रहे कुलांचे, नए साल में !, पथराई आंखों को, बांचे नए साल में !, “/ ऋचा वर्मा ने -” जाते जाते ऐ दिसंबर, मुझको एक उपहार देना ! एक टुकड़ा धूप का, मेरे बिस्तर पर डाल देना !”/ पुष्प रंजन ने-” आओ मिल सब करो दुआएं, नए वर्ष में सब नव हो जाए l कर्म किए जो गत सालों में, उसकी अब पहचान बन जाए !”
विजयानंद विजय (बोधगया) ने -” कुछ खोया है, तो कुछ पाया है! खो कर ही तो कुछ पाना है, दर्द के गर्भ से ही जन्म लेता, हर्ष का अनमोल खजाना है l “/ डॉ शिव नारायण ने -” जिंदगी को गुनगुना कर देखिए! छंदों में इसको सजाकर देखिए !”/ डॉ. कृष्ण कन्हैया (लंदन ) ने -” हर दिन एक नई सुबह आए ! और जिंदगी के किताब में, एक सार्थक अध्याय जुड़ जाए !”/ सिद्धेश्वर ने -” नया दिन, नई रात, नए रंग -रूप, नई ख्वाहिशें ! नए साल में नए स्वप्न जगाती है जिंदगी l उगते हुए सूरज की, ताजगी का एहसास,, अंधेरों में रोशनी को, ढूंढ़ लाती है जिंदगी !”/ प्रियंका त्रिवेदी (बक्सर)ने -” वक्त के साथ-साथ हम भी चलते जा रहे ! वक्त गुजरता जा रहा, हम बदलते जा रहे !!”
संतोष मालवीय (म.प्र.)ने -” कैसे गुजरा पिछला साल मत पूछिए! किस तरह हुए कंगाल मत पूछिए !”/कालजयी घनश्याम( नई दिल्ली ) ने -” आओ खा ले कसम हम नए साल में, बांट लेंगे खुशी -गम, नए साल में! सिर्फ खुशियां रहे, गम का साया ना हो, सुख ही बरसे, छमाछम नए साल में !!”/गजानन पांडे( हैदराबाद ) ने -” नया वर्ष आया, मंगल प्रभात छाया!आओ बढ़ चले, हर छण का उपयोग करें !”/राज प्रिया रानी ने -” अभिनंदन वंदन करें हम नव वर्ष सुमंगलम, नवप्रभात की पहली किरण करे सुस्वागतम !”
निर्दोष कुमार “विन “(बरेली) ने -” इश्क है मगर इजहार नहीं करते, साथ रहने का इकरार नहीं करते!”/सविता मिश्रा मागधी( बेंगलुरु) ने -” जीवन में स्वाभिमान हो,अधरों पर मुस्कान हो!”. /कौशल किशोर ने -” बीते साल की विदा इस तरह करते हैं, जो नहीं किया अब तक, वह भी कर गुजरते हैं !”
डॉ शरद नारायण खरे (म. प्र.) ने -” जाने वाले को नमन, आगत का सम्मान, यही दुआ है कामना, आदत हो बलवान !”/ धर्मेंद्र गुप्त साहिल ( वाराणसी ) ने -” नया धरातल, नई दिशाएं, नए प्रगति, सोपान बनाएं! आओ यूं नव वर्ष मनाएँ !”/सुशीला जोशी ( मुजफ्फरनगर)-” सबके अन्याय लिखे लेखनी ! पीड़ा सबकी करें उजागर, नभ की परिधि मापे कल्पना, हो जाए उर राधा नागर !”/ मीनाक्षी कुमारी ने -” नव वर्ष का स्वागत करें, नवगीत, नव ग़ज़ल लिखें !”/मीना कुमारी परिहार ने -” हमारी आशाएं,2022 में हो ऐसी ! सिंदूरी भोर लिए आए नव वर्ष !”/ राकेश आनंदकर -” गुजरते वक्त से गुजारा ना हुआ,वो पराया था, हमारा ना हुआ ! दिन महीने साल गिने हर पल, कोई आंख का तारा ना हुआ !”/राज कांता राज ने -” भोर का स्पर्श हो, कृष्ण तेरा दर्श हो!, नई किरण की आस में, मंगलमय नूतन वर्ष हो !”/राम नारायण यादव (सुपोल)ने -” दिसंबर का स्वागत, सर्द रातें ठंडी हवाएं,मन मचले तन कंपकंपाए l ” इसके अतिरिक्त दुर्गेश मोहन, खुशबू मिश्रा, उमाकांत भट्ट, मधुबाला कुमारी, डॉ सुनील कुमार उपाध्याय, संजय रॉय, अनिरुद्ध झा दिवाकर, बीना गुप्ता, स्वास्तिका, पूनम कटरियार, अभिषेक श्रीवास्तव आदि की भी भागीदारी रही ! इस यादगार कार्यक्रम को देश भर के 500 से अधिक लोगों ने देखा और 300 से अधिक लोगों ने कमेंट किया l
–प्रो(डॉ)शरद नारायण खरे