कविता

पैसा बोलता है

समय का पहिया तेजी से घूम रहा
आँखें फाड़कर देखिये
पैसा भी अब चीख चीखकर बोल रहा है,
आजकल पैसा रिश्तों को
बहुत खूबसूरती से तौलता है।
आज रिश्ते नहीं सिर्फ पैसे का महत्व है
खून के रिश्तों में भी आज देखिए
सिर्फ़ पैसों का ही महत्व दिखता है।
माना कि पैसा सबकी जरूरत है
मगर रिश्तों की जरूरत कहाँ कम है?
यह और बात है कि अब हम बदल गये हैं
कुछ ज्यादा ही आधुनिक हो गये हैं,
इसीलिए पैसे और सिर्फ पैसे को ही
अपना माई बाप ही नहीं
भगवान भी समझ रहे हैं।
अब क्या कहें हम पैसों के बारे में
भगवान को भी आज
पैसों का घमंड दिखा रहे हैं,
अब हम नहीं पैसा बोलता है
माँ, बाप, परिवार, रिश्तेदार,
इष्ट मित्रों, समाज की बात छोड़िए
यही बात आज हम
भगवान को भी समझा रहे हैं,
भगवान भी पैंसों के बोल
चुपचाप सुन समझ रहे हैं
मन ही मन मुस्कुरा रहे हैं।

*सुधीर श्रीवास्तव

शिवनगर, इमिलिया गुरूदयाल, बड़गाँव, गोण्डा, उ.प्र.,271002 व्हाट्सएप मो.-8115285921