बाल कहानीबाल साहित्य

पतंग का धागा और चींची चिड़िया

सोनू की तीसरी पतंग काटते हुए राहुल जोर से चीखा काई पो चे , सोनू की मकर संक्रांति पर्व की खुशी तो जैसे कही खो गयी, बिल्कुल उदास हो गया सोनू , सोनू को इस बात की भी चिंता थी कि अब उसके सभी दोस्त उसे चिढ़ाएंगे, राहुल और सोनू एक ही अपार्टमेंट में रहते थे , जहाँ हम उम्र बच्चों का एक हँसता खेलता समूह रहता था , किसी भी पर्व त्योहार पर बच्चों का उत्साह देखते ही बनता था , लेकिन इस बार जहाँ सोनू अपनी पतंगों के कट जाने से उदास था , वहीं राहुल के चेहरे की चमक देखते ही बनती थी , अब तक न जाने कितनी पतंग काट चुका था राहूल , आज कोई उसकी पतंगबाज़ी के सामने टिक ही नहीं पा रहा था , सोनू अपनी छत से उदास नीचे उतरने ही वाला था कि टिंकू भागता-भागता उसके पास आया ,आते ही कहने लगा ” सोनू तुझे मालूम है , राहूल कल ही अपने सभी दोस्तों से कह रहा था कि उसके पापा पतंगबाज़ी के लिए कोई ऐसा धागा लेकर आए हैं , जिससे इस बार वो सबकी पतंग काट देगा , वो किसी चाइनीज धागे की बात कर रहा था , टिंकू की बात सुनकर सोनू के चेहरे पर जैसे चमक वापस लौट आयी , चलो टिंकू पापा से वही धागा मैं भी दिलाने को कहता हूँ, फिर देखना इस राहूल की पतंग मैं कैसे काटता हूँ। अभी दोनों सीढ़ियों की तरफ बढे ही थे कि एक चिड़िया फड़फड़ाती हुई सोनू के छत पर आकर गिरी , सोनू और टिंकू दोनों लपककर उस चिड़िया की तरफ बढे और उसकी जख्मी हालत देखकर चौंक गए , खून से लथपथ चिड़िया तड़प रही थी , सोनू ने उसे पानी पिलाया , फिर चिड़िया को अपने हथेलियों में दबाकर अपने पापा के पास लेकर गया , सोनू के पापा ने फौरन उस चिड़िया को पास के पशु अस्पताल में चिकित्सा हेतु ले जाने का न सिर्फ सलाह दिया , वो भी सोनू और टिकू के साथ चले ,अगले दस मिनट में दोनों पशु चिकित्सक के पास थे , चिकित्सक ने उस चिड़िया की जाँच पड़ताल की , फिर कुछ दवा लगाकर सोनू से कहा , चिंता की कोई बात नहीं बेटे मैंने इस चिड़िया का उपचार कर दिया है , खतरे की कोई बात नहीं हैं , लेकिन एक महीने तक हर दूसरे दिन इसे लेकर आना होगा , ताकि अपने घाव सूखने तक यह मेरी निगरानी में रहे , पतंग के धागे ने इसे बुरी तरह जख्मी कर दिया है , अगर तुम न होते तो आज इस चिड़िया के प्राण पखेरू उड़ गए होते , सोनू ने डाॅक्टर से चौंक कर पूछा अंकल लेकिन कोई चिड़िया पतंग के धागे से कैसे घायल हो सकती है ? डाॅक्टर सोनू की मासूमियत पर मुस्कुराते हुए उसे समझाते हुए कहने लगे , ” सोनू बेटा अभी बाजार में प्रतिबंध के बावजूद , पतंगबाज़ी हेतु कुछ वैसे धागे बिक रहें हैं जिसपर सीसे का मांझा चढा होता है , ऐसे धागे पतंगबाज़ी में दूसरों की पतंग काटने के लिए इस्तेमाल होता हैं , लेकिन ऐसे धागे की चपेट में पक्षी तो आते ही हैं कभी – कभी ऐसा धागा हम इंसानों के गले में लिपटकर , हमें भी घायल कर सकता है , हम सबको कई बार ऐसी घटना की जानकारी समाचार पत्रों के माध्यम से मिलती रही है , कभी भी पतंगबाज़ी के लिए ऐसे धागे का उपयोग नहीं करना चाहिए और मैं तो यहाँ तक कहूँगा सोनू बेटा कि पंक्षियों के खतरे को देखते हुए , हम सबको पतंगबाज़ी से परहेज करना चाहिए और अगर करना ही हो तो पतंगबाज़ी साधारण धागे से करनी चाहिए, पशु , पक्षी, पेड़ – पौधे , ये सब पर्यावरण का हिस्सा हैं , हम सबको इनका ख्याल रखना चाहिए ,जैसे वे हम इंसानों का ख्याल रखते हैं, हम सबको भी इनका संरक्षण करना चाहिए, जितनी यह धरती आकाश हम इंसानों की है , उतनी ही यह पशु पक्षियों की भी है , पेड़, पौधे पशु पक्षी पर्यावरण को संतुलित रखने में हमारी मदद करते हैं, इतना सुनते ही सोनू की उदासी बिल्कुल दूर हो गयी, सोनू ने डाॅक्टर और अपने पापा से कहा कि अब मैं पतंग बिल्कुल नहीं उडाऊँगा । तकरीबन एक महीने बाद चिड़िया बिल्कुल स्वस्थ्य हो कर अपने गंतव्य को उड़ चली , लेकिन अब वो सोनू की दोस्त बन चुकी है , सोनू ने उसका नाम चींची रखा है , प्रतिदिन सोनू चींचीं के लिए दाना पानी अपने छत पर रखता है और चींची रोज दाना चुगने के बहाने सोनू से मिलने आती है , अब सोनू को आसमान में उड़ते पतंगों का इंतजार नहीं रहता अब तो उसकी दोस्त चींची रोज आसमान में उड़ती है जिसे देखकर सोनू उमंग से भर जाता है ।

अमित कुमार अम्बष्ट ” आमिली “

अमित कुमार अम्बष्ट 'आमिली'

नाम :- अमित कुमार अम्बष्ट “आमिली” योग्यता – बी.एस. सी. (ऑनर्स) , एम . बी. ए. (सेल्स एंड मार्केटिंग) जन्म स्थान – हाजीपुर ( वैशाली ) , बिहार सम्प्रति- स्वतंत्र लेखन विभिन्न समाचार पत्र और पत्रिकाओं में निरंतर आलेख और कविताएँ प्रकाशित पत्रिका :- समाज कल्याण ( महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की मासिक पत्रिका), अट्टहास, वणिक टाईम्स, प्रणाम पर्यटन, सरस्वती सुमन, सिटीजन एक्सप्रेस, ककसाड पत्रिका , साहित्य कलश , मरूतृण साहित्यिक पत्रिका , मुक्तांकुर साहित्यिक पत्रिका, राष्ट्र किंकर पत्रिका, लोकतंत्र की बुनियाद , समर सलील , संज्ञान साहित्यिक पत्रिका,जय विजय मासिक बेव पत्रिका इत्यादि समाचार पत्र: - प्रभात खबर, आज , दैनिक जागरण, दैनिक सवेरा ( जलंधर), अजित समाचार ( जलंधर ) यशोभूमि ( मुम्बई) ,उत्तम हिंदु ( दिल्ली) , सलाम दुनिया ( कोलकाता ) , सन्मार्ग ( कोलकाता ) , समज्ञा ( कोलकाता ) , जनपथ समाचार ( सिल्लीगुडी), उत्तरांचलदीप ( देहरादून) वर्तमान अंकुर ( नोएडा) , ट्रू टाइम्स दैनिक ( दिल्ली ) ,राष्ट्र किंकर साप्ताहिक ( दिल्ली ) , हमारा पूर्वांचल साप्ताहिक ( दिल्ली) , शिखर विजय साप्ताहिक , ( सीकर , राजस्थान ), अदभुत इंडिया ( दिल्ली ), हमारा मेट्रो ( दिल्ली ), सौरभ दर्शन पाक्षिक ( भीलवाड़ा, राजस्थान) , लोक जंग दैनिक ( भोपाल ) , नव प्रदेश ( भोपाल ) , पब्लिक ईमोशन ( ) अनुगामिनी ( हाजीपुर, बिहार ), लिक्ष्वी की धरती ( हाजीपुर, बिहार ), नियुक्ति साप्ताहिक ( रांची / वैशाली , बिहार) इत्यादि प्रकाशित कृति :- 1 . खुशियों का ठोंगा ( काव्य संग्रह ) उदंतमरुतृण प्रकाशन , कोलकाता साझा काव्य संग्रह ............................... 1. शब्द गंगा (साझा ), के.बी.एस प्रकाशन , दिल्ली 2. 100 कदम (साझा ) , हिन्द युग्म , दिल्ली 3. काव्यांकुर 4 ( साझा ) शब्दांकुर प्रकाशन, दिल्ली 4. भाव क्षितिज ( साझा ) वातायन प्रकाशन, पटना 5.सहोदरी सोपान 3 ( साझा) , भाषा सहोदरी संस्था , दिल्ली 6 रजनीगंधा ( पता :- PACIFIC PARADISE FLAT NO - 3 A 219 BANIPARA BORAL KOLKATA 700154 MOB - 9831199413