राजनीति

नसीरुद्दीन शाह : जहर उगलने वाली अभिव्यक्ति

हिंदू समाज से मिले स्नेह, प्रोत्साहन, सहयोग और धन के बल पर हिंदी फिल्म उद्योग में अपनी जगह बनाने वाले फिल्म अभिनेता नसीरुद्दीन शाह एक बार फिर अनर्गल बयानबाजी के कारण चर्चा में आ गये हैं। नसीर ने एक सेकुलर पत्रकार करन थापर को ”द वायर“ नाम की एक वेबसाइट के लिए एक बहुत ही जहरीला साक्षात्कार दिया है जो वायरल हो रहा है। यह वही नसीर हैं, जिन्होंने कभी आतंकी याकूब मेनन को फांसी से बचाने के लिये अभियान चलाया था और सीएए के खिलाफ धरना प्रदर्शन कर रहे लोगों का समर्थन भी किया था। जानना आवश्यक है कि नसीर की पत्नी हिंदू हैं, लेकिन वे हिदू समाज, सनातन धर्म व संस्कृति के खिलाफ जहर और नफरत से भरे हुए हैं। ऐसा प्रतीत हो रहा है कि क्योंकि अब वह पूरी तरह से बेरोजगार हो चुके हैं, इसलिए ऐसे बयान देकर और शत्रु राष्ट्र पाकिस्तान में लोकप्रिय होकर भारत की वामपंथी राजनीति में अपनी उपस्थिति को दर्ज कराना चाहते हैं। यह हिंदू समाज का प्रेम ही था कि उन्हें 1987 में पदमश्री, 2003 में पदम विभूषण 1979, 1984 में सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का पुरस्कार मिल चुका है। 1981, 1982 और 1984 में फिल्मफेयर अवार्ड और वर्ष 2000 में संगीत नाटक अकादमी का अवार्ड मिला और आज बदले में यह व्यक्ति भारत के 20 करोड़ मुसलमानों को भड़काने और देश में गृहयुद्ध कराने की धमकी दे रहा है।
उल्लेखनीय है कि जिस वेबसाइट के लिए उन्होंने साक्षात्कार दिया है वह भी पूरी तरह से देशद्रोही है तथा उसमें राफैल के झूठ से लेकर राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के पुत्र के घोटाले सहित कई फर्जी खबरें उड़ायी जाती रही हैं। देश की अदालतें कई बार ‘द वायर’ को झूठी खबरें लिखने व चलाने के लिए कड़ी फटकार और जुर्माना भी लगा चुंकी हैं। जाहिर है कि पूरी तरह से बेरोजगार हो चुके नसीर को अपने प्रलाप के लिये ‘द वायर’ जैसे दोयम दर्जे की वेबसाइट के अलावा और क्या मिलता? नसीर ने अपने साक्षात्कार में कई बातें कही हैं जिनका हिंदू समाज कों कड़ा उत्तर देना आवश्यक है, क्योंकि उनका साक्षात्कार पाकिस्तान में बैठे उनके आकाओं को बहुत पसंद आ रहा है। नसीर ने अपने साक्षात्कार से साबित कर दिया है कि वह अब पूरी तरह से आक्रमणकारी मुगलों की संतान की तरह बर्ताव कर रहे हैं और कांग्रेस नेता मणिशंकर अय्यर और ओवैसी जैसे नेताओं के प्रबल पैरोकार बन गये हैं।
यह हिंदू समाज की उदारता है कि आज पूरे विश्व में मुसलमान यदि कहीं सुरक्षित हैं, तो वह भारत की धरती है। यह भारत ही है जहां मुसलमान अल्पसंख्यक बनकर भी सरकारी योजनाओं का लाभ उठा रहा है। मोदी सरकार की अधिकांश योजनाओं का लाभ उठाने में मुसलमानों का प्रतिशत अधिक है। देश व प्रदेश की सरकारें अल्पसंख्यकों के कल्याण के लिए भारी भरकम योजनायें चला रही हैं। नसीर अपने साक्षात्कार में बोल रहे हैं कि मुझे पाकिस्तान भेजने वालों तुम कैलाश जाओ, चर्च मस्जिद तोड़े जा रहे, मंदिर तोड़ा जाये तो कैसा लगेगा ? वह यह भूल गये हैं कि आक्रमणकारी मुगलों ने कितने मंदिर तोड़े कितनी लूट खसोट की और कितनी नृशंस यातनाएं देकर धर्म परिवर्तन कराया। श्रीरामजन्मभूमि, काशी और मथुरा तो मात्र तीन उदाहरण हैं।
वह मुगलों की तारीफों के पुल भी बांध रहे हैं उनका कहना है कि मुगलों ने बहुत सारा योगदान दिया है। मुगल ने यहां स्मारक, कल्चर, डांस, शायरी, पेंटिग, साहित्य समेत बहुत चीजें दी हैं। नसीर को शायद पता नहीं हमारी विद्यादायिनी सरस्वती वीणावादिनी हैं, शिव डमरूधारी और कृष्ण बांसुरीवाले और संगीत मुगल लाए? जिस काल में वेदव्यास ने महाभारत लिखी उतनी कालगणना भी मुगलों को नहीं आती थी। ये भारत को साहित्य देंगे?
नसीर ने साबित कर दिया कि फिल्मी दुनिया में देशविरोधी लोग घुसे पड़े हैं जो समय- समय पर बाहर निकल आते हैं देश का सामाजिक वातावरण खराब करते हैं। मासूम के हीरो की मासूमियत की कलई खुल गई है। यह वही नसीर हैं जो फिल्मों में हिंदू नायिकाओं का बलात्कार करता है और युवाओं को नशे के लिए प्र्रेरित करता है। कई फिल्मों में नसीर ने जो अभिनय किया है अब उसकी सच्चाई और उनकी मासूमियत सामने आ चुकी है। इतना सम्मान पाने के बाद भी वह एक कंुठित इंसान नजर आ रहे हैं। एक समय उन्हें यही भारत बहुत सम्मान भी दे रहा था, लेकिन आज वही नसीर भारत को दंगों की आग में झोंकने का सपना देख रहा है। आज वह पूरी तरह से बेरोजगार हैं और उन्हें कोई काम भी नहीं मिल रहा है जिसके कारण वह अपना मानसिक संतुलन खो बैठे हैं।
नसीर शाह का कहना है कि मुगल रिफ्यूजी थे। लगता है बहुत ही गलत जानकारी है। नसीर को यह बताना होगा कि मुहम्मद बिन कासिम से लेकर बहादुरशाह जफर तक सभी मुगलों ने हिंदू समाज को समाप्त करने का अथक प्रयास किया था। हिंदू संस्कृति, ज्ञान व परम्परा को समाप्त करने का लगातार प्रयास किया और हिंदू समाज पर घोर अत्याचार किया। लेकिन कुछ तो ऐसा है कि, “हस्ती हमारी मिटती नहीं।” हिंदू सनातन संस्कृति को मिटाने वाले अब खुद ही मिटते जा रहे है। नसीर को पता होना चाहिए कि मुगलों ने भारत में घोर अत्याचार किया है।
भारत में नफरत फैलाने वाले नसीर को पता होना चाहिए कि मुगलों ने भारत पर बर्बर आक्रमण किया था और वह दीमक तथा टिड्डी दल के समान इस देश को चटकर गये थे। मुगल हमलों के पूर्व भारत सोने की चिड़िया कहा जाता था, यहां पर बड़े-बड़े विश्वविद्यालय थे। मुगलों का इतिहास हिंसात्मक व्यवहारों, ध्वंसों, हत्याओं, सामूहिक नरसंहारों, अपहरण, लूटमार और सामूहिक बलात्कारों के लिए ही याद किया जाता है। यह बात सही है कि मुगलों ने भारत को बहुत कुछ दिया लेकिन वह हिंदू मंदिरों के अवशेषों पर ही बनाया गया है। जिस ताजमहल पर नसीर जैसे लोग इतरा रहे हैं वह तेजोमय मंदिर ही हैं। मुगलों ने हिंदू सनातन संस्कृति को समाप्त करने का पूरा जोर लगा दिया। नसीर साहब को बताना ही होगा कि जब -जब देश में औरगंजेबरूपंी संकट आयेगा तो घर-घर में शिवाजी भी पैदा हो जायेंगे। हिंदू सनातन संस्कृति पर मुगल हमलावर मुहम्मद बिन कासिम ने क्रूरता के साथ हमला किया व हिंदू महिलाओं को बेचने व वेश्या बनाने के लिए उठाकर ले जाता था, बहुत ही भयानक अत्याचार किये। मुहम्मद गोरी हो या बख्तियार खिलजी जैसा शासक सभी ने भारत को लूटा या अस्मिता का ध्वंस किया और हिंदू महिलाओं की अस्मत को अपने पैरों तले रौंदा था।
आज वही नसीर मुगलों की पैरवी कर रहा है। यह वही नसीर है, जिसने अफगानिस्तान में तालिबान की वापसी का जश्न मनाया था। आज फिल्मी दुनिया में मुगलों की प्रशंसा करने वाले भरे पड़े हैं, जो अपना रूप बदलकर जनता के सामने आते रहते हैं। नसीर साहब को पता होना चाहिए कि केवल मुगल काल ही भारत का इतिहास नहीं है भारत का इतिहास उस समय का है जब मुगल पैदा भी नहीं हुए थे। यह राम, कृष्ण और शिव की धरती है तथा यहां आक्रांताओें के लिए शिवाजी जन्म लेते हैं संत शस्त्र उठाते हैं और कवि तुलसीदास बन समाज जागरण करते हैं।
— मृत्युंजय दीक्षित