तुम ही तो हो
तुम ही तो हो
सांसों के हर तार में
पतझड़ में बहार में
गुस्से में या प्यार में
तुम ही तो हो, तुम ही तो हो.
तुम ही तो हो
आनंद के आगार में
दुख में और आभार में
प्रेम-सपन साकार में
तुम ही तो हो, तुम ही तो हो.
तुम ही तो हो
मन के हर सुकून में
तन के हर जुनून में
जीवन के हर मज़मून में
तुम ही तो हो, तुम ही तो हो.
तुम ही तो हो
जिससे है जीवन मेरा
जिसके बिन है घोर अंधेरा
जिससे संवरे सांझ-सवेरा
तुम ही तो हो, तुम ही तो हो,
तुम ही तो हो, तुम ही तो हो,
तुम ही तो हो, तुम ही तो हो.