कविता

बहते आंसू

कितना कोमल है अंग तेरा,
अपनी आंख में संजोए रखा हूं।
दूर न जा मुझसे अब तू,
 मैं तेरे लिए यूं ही तड़पता हूं।।
खिली हुई मेरी आंख में ,
सीप का मोती बनकर रहता है।
 तेरे लिए मैं पल पल यूं ही,
अपनी पलकों से ढक कर रखता हूं।
तेरा यह संसार है ,
तो क्यों दूर जा रहा है।।
 दर्द हुआ है हृदय में मेरे,
 तो क्यों तो क्यों रास्ता बदल रहा है
 यह तो बता मुझे भी ,
 तुझ पर क्या सितम हुआ है ।।
 मोती बनकर वास,किया है ,
सागर बनकर ढकने लगा है ।
 दूर न जा अब तू रे ,
 मेरा मन भी विचलित होने लगा है ।।
 नम करकेआँख मेरी,
 खुद को बाहर  जलने  चला है।
साथ छोड़ कर मेरा तू ,
अपना घर छोड़ चला है ।।
आ जा मेरे पास ही ,
तू क्यों मुझसे दूर चला ।।
— अशोक कुमार

अशोक कुमार

अशोक कुमार /राजाराम ग्राम-कोटखेरवा पोस्ट-कोटवारा लखीमपुर खीरी (उ0प्र0) पिन कोड-262802 मो0न0 9634819813 ईमेल आईडी nil