कविता

समस्त महिलाओं की कहानी

महिला  गर ना हो तो,
घर वीरान लगता है,
 महिला जब ससुराल आती है,
कितने रिश्तो को निभाती है,
अपनी आदतों को बदलकर,
सबकी जरूरतो का ध्यान रखती है,
 अपनी चिंता कभी ना करती,
परिवार के लिए मरती है,
परिवार की नीव उसी से है,
 पूरे परिवार की धुरी है वो,
गर कोई समस्या आ जाए,
तो सूझ बूझ से हल करती है,
 फिर भी उसका मान ना होता,
 क्यों उसका सम्मान ना होता है,
 एक दिन महिला दिवस मना लेने से,
क्यो उसका सम्मान होता,
महिला का सम्मान हमेशा होना चाहिए,
 अगर महिला ना हो तो,
 घर वीरान लगता है ,
घर को मंदिर वह बनाती,
 बच्चों में संस्कार डालती,
समस्त महिलाओं को महिला दिवस पर,
 मेरा कोटि-कोटि प्रणाम।।
— गरिमा लखनवी

गरिमा लखनवी

दयानंद कन्या इंटर कालेज महानगर लखनऊ में कंप्यूटर शिक्षक शौक कवितायेँ और लेख लिखना मोबाइल नो. 9889989384