कविता

क्या होगा ये कल भी???

आस्था भी होगी, होगा आज विश्वास भी,
एक दिन के लिए फिर, होगी वो आजाद भी,
फिर वही महिला दिवस मनाने का दिन आया,
जब हर तरफ होगी, आज नारी की बात भी।।

लगेगा बस आज ही, रच देगी वो इतिहास भी,
आज ही मिल जाएगी , उसको सारी पहचान भी,
फिर वही महिला दिवस मनाने का दिन आया,
जब मंचों पर होगी नारी, और खूब तालियां भी।।

याद की जाएगी आज, इंदिरा और कल्पना भी,
नारी होगी आज सती ,और होगी जननी भी,
फिर वही महिला दिवस मनाने का दिन आया,
जब एक दिन में छू लेगी, वो आज आसमान भी।

जो केवल आज है, क्या होगा ये कल भी,
एक बरस के लिए, भूल जाएंगे हम सभी,
फिर वही महिला दिवस मनाने का दिन आया,
फिर हो जाएगी नारी, वही बेचारी और अबला भी।।

ना कम होगी दहेज की भूख, ना होगा कम शोषण भी,
फिर साल भर छपेंगी बातें, फिर होंगी यही खबरें भी,
फिर वही महिला दिवस मनाने का दिन आया,
बस इंतजार करो जब जागेंगी, ये सोई हुई महिलाएं सभी।।

— डॉ. निधि माहेश्वरी

डॉ. निधि माहेश्वरी

शिक्षिका, हापुड़