बहारें फिर आएंगी
छूट जाए जब जमीन
या फिर उखड़ जाए जमीन से
तब भी जड़ों के साथ पेड़ भी रोता ही है
धरती के आंसूओं को किसने देखा
फूल और पत्तियों के बिखरने पर
मिलने-बिछड़ने के दौर में
तबाहियों के मंजर में
हवाओं के भी तो बहते होंगे आंसू
आंधी-तूफान खुश हो लें चाहे
बर्बादियों का जश्न मनाकर
उन्हें तो थम जाना है
पेड़ फिर खड़े होंगे
जड़ें फिर-फिर जमेंगी
आंधी-तूफान आते-जाते रहेंगे
धरती का सम्बन्ध बना रहेगा
पेड़-पौधों से उनकी जड़ों के साथ
और खिलते रहेंगे पत्ते,फल-फूल
चहचहाएंगे पंछी,गुनगुनाएंगे भंवरे
उड़ेंगी तितलियां,चहकेगी चिड़ियाएं
एक दिन थम जाएंगी युद्ध की विभीषिका
छटेंगे नफरतों के बादल
होगी प्रेम और सद्भाव की वर्षा
बहारें फिर आएंगी।