कविता

स्वस्थ दीर्घायु

स्वस्थ लंबी आयु की
जो हो मन में कामना
राग द्वेष छोड़िए
प्रेम की सरगम छेड़िए
अपनों से मिलें प्रेम से
गिले शिकवे छोड़िए
नकारात्मकता को दीजिए तिलांजलि
सकारात्मक होइए
हठ को कीजिए दरकिनार
सहजता से नाता जोड़िए
बैर को छोड़िए
प्यार से नाता जोड़िए
शब्दों में रस घोलिए
कम से कम बोलिए
सुबह शाम ध्यान कीजिए
प्रभु का नाम लीजिए
आप रहेंगे स्वस्थ
दीर्घायु पाएंगे.

*ब्रजेश गुप्ता

मैं भारतीय स्टेट बैंक ,आगरा के प्रशासनिक कार्यालय से प्रबंधक के रूप में 2015 में रिटायर्ड हुआ हूं वर्तमान में पुष्पांजलि गार्डेनिया, सिकंदरा में रिटायर्ड जीवन व्यतीत कर रहा है कुछ माह से मैं अपने विचारों का संकलन कर रहा हूं M- 9917474020