कविता

महाबली हनुमंत

जय जय श्री हनुमंत वीर
मां अंजनी के हो तुम जाये
अति पराक्रमी बचपन थे तुम्हारे
बना दिया सूर्य  को खिलौना
राम भक्ति के हो  तुम वरदान
जहां हैं राम वहां हैं तुम्हारा आह्वान
राम के द्वारे तुम रखवारे
सुख के दाता हो दुःख के हो तुम हरता
बलवान बलशाली तुम हो महाबली
महाभक्त तुम ही हम भी भक्त तुम्हारे
राम तक जाने  का रास्ता तुम्हीं से जाएं
बसे हैं राम तुम्हारे हृदय में
तुम्हीं ने लछमन प्राण बचाएं
दूजा जो कोई रामजी को पाता
हम भक्त तुम्हरे हैं ओ… बलशाली महाबाहु
हम भी तेरी ही शरण में आएं
— जयश्री बिरमी

जयश्री बिर्मी

अहमदाबाद से, निवृत्त उच्च माध्यमिक शिक्षिका। कुछ महीनों से लेखन कार्य शुरू किया हैं।फूड एंड न्यूट्रीशन के बारे में लिखने में ज्यादा महारत है।