अन्य

गुहार! (एक ही खून की प्रेम कहानी, नहीं हो सकती।)

सीन नं.-1 (दुल्हा ‘अभय’ जैसे ही गाड़ी को लेकर अपने घर के सामने दुल्हन के साथ रुकता है गाड़ी की खिड़की खोलकर) अभय (दुल्हन ज्वाला से) ‘‘चलो उतरो घर आ गया है।

सीन नं.-2 शेरा (ज्वाला धीरे से अपना पैर गाड़ी से बाहर निकालती है। पीछे से आ रही गाड़ी में बेठा गुंडा ‘ज्वाला का पे्रमी शेरा’ अपनी गाड़ी के ड्राइवर से) जहां ये गाड़ी रूकी है यहां थोड़ी धीमी करके निकालना (जैसे ही शेरा की गाड़ी अभय की गाड़ी के पास पहुंचती है। शेरा अपना पिस्तौल उठाकर गाड़ी से उतर रही ज्वाला को गोली मार देता है और अपने ड्राइवर से कहता है।) ‘‘भगा गाड़ी (ड्राइवर गाड़ी को बहुत तेज भगा लेता है।)

सीन नं.-3 अभय   (ज्वाला गोली लगते ही एकदम पीछे को गिर पड़ती है) क्या हुआ ज्वाला! ये क्या हुआ ज्वाला ये कौन था?’’ (ज्वाला कुछ नहीं बोल पाती बेहोश होकर पीछे को गिर पड़ती है। अभय ज्वाला को गोदी में उठाकर गाड़ी में डालता है तथा अस्पताल ले जाता है।)

सीन नं.-4 सावन (उधर शेरा का ड्राइवर ‘सावन शेरा से) उस्ताद आप भी हो बड़े दिलजले कल तक तो ज्वाला से प्यार करते थे और आज उसे ही निशाना बना दिया।

शेरा, ‘तू तो जानता ही सावन शेरा जिसको नहीं खा सकता बिखेर देता है उसे, किसी के मुहं की नहीं छोड़ता ज्वाला ने प्यार मुझसे किया और शादी उस कमीने से कर ली। उसके किये की सजा मैनें उसको दे दी। अब अगले जन्म में भी वो किसी से प्यार करने की नहीं सोचेगी।’

सीन नं.-5 (उधर अस्पताल में डाक्टर ज्वाला की गोली निकाल कर उसे दवाई देते हैं। एक डाक्टर अभय से।) डाक्टर (गोली काफी गहरी पहुंच चुकी थी।) ‘‘लेकिन चिन्ता करने की कोई जरूरत नहीं ये जल्दी ही ठीक हो जायेंगी। लो ये दवाई इनको हर घंटे बाद देते रहना। (डाक्टर दवाई देकर चला जाता है। कुछ समय पश्चात ज्वाला होश में आती है। अभय उसके बिस्तर के पास पड़ी कुर्सी पर बैठा होता है।) ज्वाला (गुस्से में) ‘‘इस कमीने शेरा को तो मैं जिन्दा नहीं छोडूंगी। (बिस्तर से उठकर बेठ जाती है।) अभय (उसको पकड़कर लिटाते हुए) ‘‘नहीं ज्वाला नहीं अभी तुम आराम करो। काफी चोट लगी है तुमको। क्या तुम उसको जानती हो?’’

ज्वाला ‘‘हां बहुत अच्छे तरीके से जानती हूं मैं उसे। लेकिन अभय तुम मेरे और उसके बीच नहीं आओगे। मैं अकेले ही उस कमीने को सबक सीखाउंगी। मुझे उससे अपना बदला लेना है। हट जाओ जाने दो मुझे, ज्वाला हूं मैं ज्वाला (अभय के हाथ को झटका देकर हटा देती है तथ हाथ में लगी ग्लूकोज की बोलत की सुई को भी झटके से निकाल देती है। गुस्से में बिस्तर से उठकर चल देती देती।)

अभय      रुको ज्वाला रुको, तुम्हें मेरी कसम।

ज्वाला     (ज्वाला की आंखों में मानों खून तैर रहा है माथे पर पट्टी बंधी है।) ‘‘मत रोको ज्वाला को अब जलने दो ज्वाला को। शेरा को राख करके ही ज्वाला अब दम लेगी। वो कमीना नहीं जानता कि नारी सती सावत्री ही नहीं कालरात्रि भी है। (अभय के रोकने से भी नहीं रुकती। ज्वाला के माथे पर पट्टी बंधी होती है तथा हाथ से खून बहता रहता है।)

सीन नं.-6 अभय (अभय अस्पताल में ही बेठा रह जाता है। सिर पकड़कर रोते हुए)

हे भगवान ये सब क्या कर दिया मेरे साथ।

सीन नं.-7 व्यक्ति (ज्वाला रोड़ पर पहुंचती है। सामने से आ रही कार को हाथ देती है। कार में केवल एक ही व्यक्ति होता है व्यक्ति मन ही मन) वा खुदा वा क्या माल भेजा है मेरे लिये मजा आ जायेगा। बिठा लेता हूं। (गाड़ी को रोककर ज्वाला को बिठा कर चल देता है।) ‘‘किसी ने सच ही कहा है बिन मांगे मोती मिलें मांगे मिले ना भीख। कहां जाना है मेडम? ये पट्टी-सट्टी कैसे बांधी हैं? किसी से पंगा ले लिया क्या? अपुन को बता दो सब कुछ ठीक कर देगा। अपुन के सामने कोई भी कान नहीं हिला सकता। भैरव सिंह कालिया है अपुन का नाम भैरव सिंह कालिया, खलास कर देता है ना कहने वाले को। अब तुम भी कुछ अपने बारे में बताओ मेडम, क्या नाम है? क्या काम है? क्या गाम है?’’

सीन नं.-8 डाक्टर  (उधर अस्पताल में डाक्टर अभय से ज्वाला के बारे में पूछते हैं।)

कौन थी वो?’’ मेरी बीवी थी अभी शादी करके ही लाया था पता नहीं किस ने पीछे से आकर गोली मार दी। आप से नहीं जानते क्या? आपकी किसी से पुरानी दुश्मनी थी क्या? नहीं मेरी तो आज तक किसी से तू-तू मैं-मैं भी नहीं हुई। लेकिन वो कह रही थी कि वो उसे अच्छी तरह से जानती है। शेरा बोल रही थी उसको। फिर तो लगता है कोई प्यार-वियार का चक्कर है। (अभय कुछ नहीं बोलता) ‘‘खेर जो भी हो सब ठीक हो जायेगा। अब आप अपने घर जाओ और उसके आने का इन्तजार करो। (अभय उठकर अपने घर चल देता है।)

सीन नं.-9 ज्वाला  (ज्वाला गाड़ी की सीठ पर पड़ी पिस्तौल उठा लेती है) सब कुछ बता दूंगी तू अभी गाड़ी चला। (उसको पता नहीं चलता कि उसकी पिस्तौल ज्वाला ने उठा ली है।) ‘‘वाह पूरी दिलजली लगती हो। मर्दों से ऐसे नहीं बोलते डार्लिंग। वो मर्द, मर्द नहीं होते जो औरतों से पंगा लें। हा-हा, हा-हा अरे मर्द औरतों से पंगा नहीं लेगा तो क्या हिजड़ों से लेगा। औरत और मर्द मिलते हैं तभी तो संसार आगे चलता है डार्लिंग। लगता है अभी मर्द से तेरा सामना नहीं हुआ है चल मेरे साथ। ये छुरी के जैसी चलने वाली जुबान बन्द हो जायेगी।

ये ज्वाला को समझा रहा है तू मुझे तो लगता है, तेरा सामना अभी औरत से हुआ ही नहीं। अच्छो-अच्छो की जुबान बन्द हो जाती है औरत के सामने। जमाना शायद यह भूल गया है कि औरत सती सावत्री ही नहीं कालरात्रि भी है, और जो सीने पर हाथ मारकर अपने आपको मर्द कहते हैं उनको जन्म देने वाली भी औरत ही है। व्यक्ति ‘‘अब सारी बातें छोड़ डार्लिंग ये बताओ कहां जाना है तुझे, या फिर मेरे ही साथ चलेगी। तेरे जैसी की जरूरत भी है मुझे। तू तो वैसी ही लगती है जैसी मैं चाहता था। चल दोनों शादी रचा लेते हैं। ज्वाला (पिस्तौल उसकी कनपटी पर रखते हुए) ‘‘चुपचाप गाड़ी चलाता है या फिर इस दुनिया से टिकट काट दूं तेरा।

सीन नं.-10 अभय (उधर अभय अपनी गाड़ी से उतरकर अपने घर में चला जाता है, और सौफे पर सिर पकड़ कर बेठ जाता है।) ना जाने क्या होगा अब? कहां होगी मेरी ज्वाला! रक्षा करना भगवान उसकी।

सीन नं.-11 व्यक्ति (डरते हुए ज्वाला से) ‘‘चला तो रहा हूं। नहीं-नहीं कैसी बात कर रही हो। लगता है आप तो नाराज हो गयीं मैडम। (पिस्तौल को हाथ से पकड़ते हुए) ‘‘ये आपके हाथों में अच्छा नहीं लगता ये मुझे दे दो।

सीन नं.-12 ज्वाला व्यक्ति  (झटका मारकर पिस्तौल को छुड़ा लेती है।) ‘‘इसको हाथ नहीं लगाने का, नहीं तो तेरा पत्ता साफ। जल रही है ज्वाला भून कर खाक कर देगी जो भी रास्ते में आयेगा। चुपचाप चलता रह, थोड़ी भी हरकत करी ना तो खोपड़ी उड़ा दूंगी।

(खुद से) ‘‘आज तो बुरा फस गया भैरव सिंह कालिया, हे भगवान रक्षा कर कहां से ये फूलन देवी पल्ले पड़ गयी। (अपने आप को धीरज बनधाते हुए) ‘‘हां तो फूलन देवी कहां जाना है तुम्हें, मैनें भी कुछ गलत नहीं कहा आपसे मैं भी इस दुनिया में अकेला हूं। मेरे ही घर पर चलो आप।

सीन नं.-13 ज्वाला (पिस्तौल उसकी खोपड़ी से सटाते हुए) ‘‘अपने घर ले जायेगा मुझे, तेरी मां ने दूध पिलाया है। गाड़ी साइड में लगा ले वर्ना भेजे में ठोक दूंगी। (व्यक्ति चुपचाप गाड़ी साइड में लगा देता है।)  व्यक्ति (डरते हुए) कौन हैं आप? फूलन देवी तो नहीं आप? ज्वाला ‘‘गाड़ी से नीचे उतर बताती हूं (व्यक्ति जैसे ही गाड़ी से नीचे उतरता है, ज्वाला उसके सीने में गोली ठोक कर।) ‘‘फूलन देवी नहीं ज्वाला देवी हूं मैं! ज्वाला देवी!

सीन नं.-14 ज्वा…ज्वा… ज्वाला दे… देवी (कहते हुए पीछे की ओर गिर जाता है और मर जाता है।)

सीन नं.-15 (ज्वाला उसकी गाड़ी को लेकर चल देती है। कुछ देर गाड़ी चलने के पश्चात ज्वाला की गाड़ी शेरा के घर के सामने पहुंच जाती है। शेरा के घर के सामने ज्वाला बहुत तेज ब्रेक मारकर गाड़ी रोकती है। गाड़ी की खिड़की लात मारकर खोलती है। तथा पिस्तौल हाथ में लेकर गाड़ी से उतरती है और लात मारकर गाड़ी की खिड़की बंद करती है।)

सीन नं.-16 वाचमैन (शेरा का वाचमैन तेज बे्रक लगाकर रुकी गाड़ी को तथा उससे उतरती पिस्तौल हाथ में लिये ज्वाला को चैंककर देखता है।) (खुद से ही) ‘‘लगता है साहब से कोई पंगा हो गया है। बाप रे बहुत खतरनाक लगती है’’

सीन नं.-17 (बड़ी तेज चाल से शेरा के गेट पर पहुंच कर वाचमैन की ओर पिस्तौल तानते हुए) ‘‘दरवाजा खोल, वाचमैन ‘‘कौन हैं आप?’’

ज्वाला  ‘‘ज्वाला देवी, यमदूत, जो जिन्दगी से परेशान हो जाता है उसको ठिकाने लगाने वाली वाचमैन, ‘‘क्या काम है?’’ ज्वाला,  ‘‘ज्यादा क्वास्चन मत कर दरवाजा खोल, नहीं तो तुझको भी यमराज की पैंठ में भेज दूंगी। वाचमैन, ‘‘काम तो बताओ ज्वाला देवी’ज्वाला (उसकी खोपड़ी में एक गोली ठोककर) ‘‘ उठा इसको भी यमराज, ज्यादा क्वास्चन करने की आदत पड़ गयी है इसको।“ (गोली लगते ही वाचमैन पीछे को गिर जाता है। ज्वाला अन्दर चली जाती है।)

सीन नं.-18 (तेज चींख के साथ वाचमैन के प्राण निकल जाते हैं।)

सीन नं.-19 शेरा (सामने कुर्सी पर बेठा शेरा तूफान की तरह आ रही ज्वाला को देखकर चैंक पड़ता है।) तू!, बेवफा तू बच गयी!, चली जा मेरी आंखों के सामने से! सब कुछ बर्बाद कर दिया मेरा।

सीन नं.-20 ज्वाला ‘‘हां मैं तेरी मौत, अभी तो कुछ भी बर्बाद नहीं किया, अब देख क्या-क्या बर्बाद करती हूं।

सीन नं.-21 शेरा‘‘लेकिन तुझको अन्दर आने किसने दिया। वाचमैन क्या मेरा सो गया है। (वाचमैन को आवाज लगाता है।) ‘‘वाचमैन…, वाचमैन…’’

सीन नं.-22 ज्वाला, “मौत को आने से कौन रोक सकता है शेरा? तेरे वाचमैन को तो यमदूत उठाकर ले गये। (पिस्तौल उसकी ओर तानते हुए) ‘‘और तू भी जाने की तैयारी कर ले। तुझको भी ले जाने के लिए आ रहे हैं।“

सीन नं.-23 शेरा (डरते हुए, पीछे हटते हुए) ‘‘नहीं ज्वाला नहीं, तू भूल गयी क्या उस दिन को जब तू अस्पताल में बिस्तर पर पड़ी थी और मैं तेरे लिये खून दे रहा था”

सीन नं.-24 ज्वाला ‘‘सब कुछ याद है मुझे, लेकिन तू भूल गया है शेरा, तुझको याद दिलाने आयी हूं।“

सीन नं.-25 शेरा, (शेरा पीछे हटते हुए फुर्ती से, अपनी मेज पर पड़ी पिस्तौल उठा लेता है। ज्वाला की ओर तानते हुए।) ‘‘वहां बच गई तो शेरा के घर ही मरने चली आयी। अब तू नहीं बच सकती ज्वाला। (जोर से हंसते हुए) हा…, हा…, हा…

सीन नं.-26 ज्वाला ‘‘मैं मरने नहीं तुझको मारने आयी हूं। मैं मौत हूं तेरी। मौत को कोई नहीं मार सकता शेरा”

सीन नं.-27 शेरा, ‘‘तू मेरी मौत है या मैं तेरी मौत, ये तो अभी थोड़ी देर में फैसला हो जायेगा। (ज्वाला की ओर एक गोली चला देता है।)

सीन नं.-28 (ज्वाला अपने आप को उस गोली से बचाकर शेरा के पिस्तौल वाले हाथ में एक गोली ठोक देती है।)

सीन नं.-29 शेरा, ‘‘आह…’’ (गोली लगते ही शेरा की पिस्तौल दूर जा गिरती है। शेरा पिस्तौल को उठाने भागता है।)

सीन नं.-30 (ज्वाला फुर्ती से शेरा की पिस्तौल उठाकर, शेरा की खोपड़ी पर निशाना लगाते हुए) ‘‘ जलती ज्वाला से कोई नहीं बच सकता शेरा”

सीन नं.-31 शेरा, (डरते हुए) ‘‘नहीं ज्वाला, नहीं, क्या तू भूल गयी उन दिनों को जब हम दोनों एक साथ खेलते थे। एक साथ पढ़ने जाते थे। एक साथ रहते थे। तू तो जानती है मैं तुझसे कितना प्यार करता हूं, तेरी शादी उसके साथ हो गयी ये सब मुझसे देखा नहीं गया इसलिए मैनें ये सब किया था।“

सीन नं.-32 ज्वाला (पिस्तौल नीचे करते हुए) ‘‘तू मुझे प्यार करता है, इसलिए छोड़ देती हूं, लेकिन यदि दोबारा तूने ऐसी घिनौनी हरकत की तो मैं तुझको कुत्ते की मौत मारूंगी। प्यार तो मैं भी तुझसे करती हूं लेकिन इसका मतलब ये तो नहीं कि मैं समाज की सारी मान मर्यादाओं को तोड़कर,  शादी भी तुझसे ही करती। मेरे मां-बाप भी कुछ इज्जत रखते हैं। उन्होनें मुझको पैदा किया है। उनका भी कुछ हक बनता है मुझपर। मैं उनकी इज्जत को समाज में उछाल देती, यही चाहता था क्या तू। अरे दो बहन-भाई भी एक साथ पढ़ते हैं। एक साथ खेलते हैं। एक साथ खाते हैं। उनके शरीर मैं भी एक ही मां-बाप का खून दौड़ता है। मेरे शरीर में तेरा खून है तो इसका मतलब ये नहीं की मैं तेरी बीबी ही बनूं तेरी बहन भी हो सकती हूं। मैनें तुझको हमेशा ही अपना भाई माना है। शेरा मेरे भाई, शादी वहीं होती है जहां ऊपर वाला चाहता है। अभय ने मुझसे शादी करके क्या गुनाह किया, जो तू उसकी जिन्दगी में जहर घोलना चाहता था।“

सीन नं-33 शेरा, ज्वाला, ‘‘ये सब मुझसे बर्दास्त नहीं होता ज्वाला। मुझे बर्दास्त नहीं होता, जिसको जिन्दगी भर प्यार किया, वहीं दूसरे की हो गयी। (जोर से रो पड़ता है।)’’ (शेरा को चुप करते हुए) ‘‘मत रो मेरे भाई मत रो, मैं जाती हूं।“ (अपनी पिस्तौल हाथ में लेकर बुझे से मन से वापस लौट जाती है। बाहर खड़ी शेरा की गाड़ी को स्र्टाट करके ले जाती है।)

सीन नं.-34 शेरा    (आंसू पौंछते हुए, जोर से चिल्लाते हुए)‘‘ये सब मैं नहीं होने दूंगा ज्वाला..ला..ला.., नहीं जीने दूंगा तुझको उस कमीने के साथ। बेवफा है तू बेवफा, तुझको तेरे किये की सजा दूंगा मैं। मेरे जिगर में प्यार की आग लगी है। मैं इसको तेरे खून से बुझा कर ही दम लूंगा। अभी तूने शेरा का प्यार ही देखा है, गुस्सा नहीं देखा ज्वाला। ज्वाला को भी जला दूंगा मैं, ज्वाला को भी जला दूंगा।’’ (अपने गोली लगे हाथ के बहते खून को देखते हुए चल देता है।) ‘‘इस खून का बदला तुझसे ही लिया जायेगा ज्वाला। खून का बदला खून ही होगा।“

सीन नं.-35 (उधर जंगल में ज्वाला रास्ते में जा रही होती है, उसकी गाड़ी के पीछे गुन्ड़ों की गाड़ी लग जाती है। जैसे ही ज्वाला की गाड़ी धीमी होती है, गुन्डे अपनी गाड़ी से उतरकर चारो ओर से ज्वाला की गाड़ी को घेर लेते हैं। छः गुन्डे, सभी के हाथों में पिस्तौल होती है।)

सीन नं.-36 ज्वाला (गाड़ी में बेठी एक हाथ में पिस्तौल लेकर, गुन्डो बोलती है) ‘‘कौन हो तुम?’’

सीन नं.-37 गुन्डा  (छः गुन्डों में से एक) ‘‘डर मत जन्नत की परी, हम सब तो तेरे दिवाने हैं। लेकिन तुझको अकेली जाते देख हमने सोचा कोई चुरा ना ले हम भी साथ चलते हैं। यूं अकेले जाना इस जंगल अच्छा नहीं चल हमारे साथ चल।“ (सभी जोर से हंसते हैं।) ‘‘हा…हा…हा…

सीन नं.-38 ज्वाला (गुस्से से जलते हुए) ‘‘बकवास बन्द करो! हटो जाने दो मुझे!’’

सीन नं.-39 गुन्डा  ‘‘बहुत तीखी लगती हो, अरे ऐसे कैसे चली जाओगी, अपुन के पंजे से, अपुन तो बिना चखे किसी को छोड़ता ही नहीं। बस एक बार चखेगा उसके बाद चाहे जहां जाना हम छोड़ देंगे।

सीन नं.-40 ज्वाला, (गुस्से में) ‘‘मैं खुद चली जाउंगी। हटो आगे से।’’

सीन नं.-41 गुन्डा  ‘‘चली जाना इतनी भी क्या जल्दी है। ये तो बता दो क्या नाम है तुम्हारा?’’

सीन नं.-42 ज्वाला, ”यमदूत ज्वाला देवी!’’

सीन नं.-43 गुन्डा  ‘‘नाम तो बड़ा अजीब सा है, यमदूत ज्वाला देवी। क्या करती हो?’’

सीन नं.-44 ज्वाला ‘‘काम भी अजीब सा ही है, जो जिन्दगी से परेशान हो जाता है उसे यमलोक पहुंचाना। अब आगे से हटो मैं चलती हूं।“

सीन नं.-45 गुन्डा  ‘‘ऐसे कैसे चली जाओगी, हमारे यहां से जाना इतना आसान नहीं, यमदूत तो क्या यहां से तो यमराज भी वापस लौट जाता है। (ज्वाला की गाड़ी के टायर में गोली मारकर पंचर कर देते हैं।)

सीन नं.-46 ज्वाला ‘‘ज्वाला के लिए कहीं से भी जाना मुश्किल नहीं। (ज्वाला गुस्से से जलते हुए, हाथ में पिस्तौल लिए अपनी गाड़ी की खिड़की को लात मारकर खोलती है तथा गाड़ी से उतरती है।) ‘‘लगता है तुम सब अब जीना नहीं चाहते। ( उतरते ही एक गुन्डे की बांह में गोली ठोक देती है।)

सीन नं.-47 गुन्डा  (जिसकी बांह में गोली लगती है जोर से चींखता है। उसकी पिस्तौल दूर जा गिरती है।)‘‘आह…’’

सीन नं.-48 ज्वाला (फुर्ती से दूसरे की कनपटी पर पिस्तौल रख) ‘‘इसको यमलोक भेजना चाहते हो, या अपनी-अपनी पिस्तौल फैंकते हो बोलो।“

सीन नं.-49 गुन्डा  (जिसकी कनपटी पर ज्वाला की पिस्तौल रखी होती है। कांपते हुए) ‘‘सब अपनी-अपनी पिस्तौल फैंक दो वर्ना ये मुझको यमलोक का टिकट दे देगी।“

सीन नं.-50 (सभी गुन्डे अपनी-अपनी पिस्तौल फेंक देते हैं।)

सीन नं.-51 ज्वाला (ज्वाला फिर भी उसकी खोपड़ी में एक गोली ठोक देती है। तेज चींख के साथ उसके प्राण उड़ जाते हैं, और वह गिर जाता है। एकदम दूसरे गुन्डे की कनपटी से पिस्तौल सटाते हुए) ‘‘ज्वाला देवी के दरबार में किसी को माफ नहीं किया जाता, चल तू भी जा (उसकी खोपड़ी में भी गोली भर देती है। वह भी गिर पड़ता है।)

सीन नं.-52 गुन्डे   (दो गुन्डों के मरते ही बाकी गुन्डे ज्वाला से हाथ जोड़कर) ‘‘हमें माफ कर दो ज्वाला देवी, हमें माफ कर दो।“

सीन नं.-53 ज्वाला (हंसते हुए) ‘‘हा…हा… जलती ज्वाला को छूकर बोलते हो हमें मत जला, ऐसा कैसे हो सकता है। अरे जलती ज्वाला को छूने से तो जलोगे ही ना। चलो तुम भी इन दोनों के साथ जाओ।“

सीन नं.-54 गुन्डे (हाथ जोड़कर कांपते हुए) ‘‘नहीं, नहीं ज्वाला देवी हमें माफ कर दो, आज के बाद हम किसी औरत को नहीं छेड़ेगे। हमें माफ कर दो ज्वाला बहन।’’

सीन नं.-55 ज्वाला ‘‘ठीक है, तुमने बहन कहा इसलिए छोड़ देती हूं। निकलो यहां से (चारों भाग जाते हैं।)

सीन नं.-56 (ज्वाला गुन्डो की गाड़ी स्टार्ट करके चल देती है। अभय के घर पहुंचकर दरवाजा खटखटाती है।)

सीन नं.-57 ज्वाला (अभय सौफे से उठकर दरवाजा खोलता है। ज्वाला को देखकर खुशी से।) ‘‘तुम आ गईं (दोनों एक दूसरे को कसकर बाहों में भर लेते हैं। कुछ देर बाद ज्वाला।) ‘‘अब हटो भी (दोनों एक दूसरे से बाहें हटाते है, तथा हाथ पकड़कर अन्दर चले जाते हैं।) (दोनों सौफे पर जाकर बेठ जाते हैं।) ‘‘तुम दस मिनट रुको मैं फ्रेश होकर आती हूं।“

सीन नं.-58 (ज्वाला बाथरूम में चली जाती है। अभय सौफे पर बेठा रह जाता है।)

सीन नं.-59 (ज्वाला अपने भीगें बालों के हिलाते हुए बाथरूम से बाहर निकलती है।)

सीन नं.-60 अभय और ज्वाला (दोनों दोड़कर एक दूसरे को बाहों में भरकर, गीत गुनगुनाने लगते है।)

मेल-                        प्यासी हैं मेरी बाहें

प्यासी हैं ये निगाहें

फिमेल-   आ, आ मेरे साथिया आ आ

अपनी बाहों की प्यास बुझा

और निगाहों की प्यास बुझा

मेल- प्यासी हैं मेरी धड़कन

प्यासी हैं मेरी तड़पन

फिमेल-   आ, आ मेरे साथिया आ आ

अपनी धड़कन की प्यास बुझा

और तड़पन की प्यास बुझा

मेल-   प्यासी हैं मेरी आहें

प्यासी हैं मेरी चाहें

फिमेल-   आ, आ मेरे साथिया आ आ

अपनी आहों की प्यास बुझा

और चाहों की प्यास बुझा

सीन नं.-61 ज्वाला   ‘‘अब मैं, हम दोनों के खाने के लिए कुछ बनाती हूं, बताओ क्या खाना है तुम्हें” अभय ‘‘आज मैं तुम्हारी पसन्द का खाना खाउंगा, बनाओ जो बनाना है तुम्हें। ज्वाला, अभय (हंसते हुए) ‘‘मेरी पसन्द का, फिर किसी होटल में चलना पड़ेगा” तो चलो होटल में चलते हैं। (दोनों गाड़ी लेकर होटल में चल देते हैं।)

सीन नं.-62 (उधर शेरा भी अपने गम को भूलाने के लिए, उसी होटल में पहुंच जाता है। लेकिन उसको यह सब पता नहीं होता की ज्वाला भी उसी होटल में अभय के साथ हनीमून पर आयी है। शेरा जैसे ही होटल में प्रवेश करता है, सामने ही टेबल पर ज्वाला और अभय बेठे बात कर रहे होते हैं। शेरा ज्वाला और अभय को देख लेता है, लेकिन ज्वाला उसको नहीं देख पाती है। शेरा फुर्ती से भीड़ में पड़ी कुर्सी पर बेठ जाता है।) शेरा (मन ही मन) ‘‘सोचा था होटल में जाकर पैक लगाउंगा दिल को थोड़ा सुकून मिलेगा। लेकिन यहां भी आ गई बेवफा दिल को जलाने के लिए।

सीन नं.-63 गुन्डा  (उसी होटल में वे तीनों गुन्डे भी बेठे शराब पी रहे होते हैं, जिनको ज्वाला ने माफ करके भाग दिया था। उन तीनों गुन्डो में से एक की नजर ज्वाला पर पड़ जाती है।) (बाकी दो गुन्डों से) ‘‘अबे देखो ये तो वही है। जिसको हमने छोड़ दिया था।“ गुन्डे(बाकी दो गुन्डे, हाथ में शराब से भरा गिलास लिये, ज्वाला की ओर देखते हुए) अबे हां ये तो वही है, इस यार के साथ घूम रही है।

सीन नं.-64 (शेरा भी उन गुन्डो के पास में पड़ी कुर्सी पर बेठा शराब पी रहा होता है तथा ज्वाला को देख रहा होता है। एक गुन्डे की नजर शेरा पर पड़ती है।) गुन्डा       (बाकी दो गुन्डो से शेरा की ओर इशारा करते हुए) ‘‘अबे उसको देखो कैसे भूखे की तरह उसको देख रहा है, जैसे उसको भी मिलेगी चखने के लिए। (तीनों जोर से हंसते हैं)

सीन नं.-65 गुन्डा  (उनमें से एक गुन्डा उठकर शेरा के पास पहुंचता है तथा शेरा के कन्धे पर हाथ मारते हुए, ज्वाला की ओर इशारा करते हुए) ‘‘जानता है क्या दोस्त उसको, बहुत तीखी है। शेरा ‘‘हां जानता हूं, मेरा प्यार है वो, गुन्डा (हंसते हुए) ‘‘हा…हा…हा… तेरा प्यार है और घूम रही है उसके साथ, ये कैसा प्यार है दोस्त। ये बात तो कुछ हजम नहीं हुई, शेरा  ‘‘हजम तो मुझे भी नहीं हो रही। बहुत बड़ा धोखा दिया है इस कमीनी ने मुझे। बचपन से मेरी साथ रही, मेरी साथ से मेरे साथ खेली खायी मुझसे प्यार किया और अब शादी कर ली इस कमीने के साथ। गुन्डा ‘‘बड़ी दर्द भरी कहानी है तेरी दोस्त, और तू सब चुपचाप देखता रहा। अरे प्यार की खातिर तो लोग जान तक दे देते हैं। ये कैसा प्यार किया है तूने। ये भी क्या सोचती होगी तेरे बारे में गीदड़ है गीदड़ तू। टपका दे साले को, हम तेरे साथ हैं। तेरा प्यार छीन लिया इसने शेरा ‘‘टपका तो दूं लेकिन अब ये भी तो मुझसे शादी करने को राजी नहीं, गुन्डा (गुस्से में) ‘‘छक्का है क्या तू, मर्द नहीं है, एक औरत को नहीं संभाल सकता। दोनों को टपका दे। वो तेरा दुश्मन है तो लड़की हमारी दुश्मन है। इसने हमारे कई दोस्तों को मार दिया। चल हम तेरे साथ हैं। बोल क्या कहता है। उड़ा दें दोनों को, अब तो ये तुझको मिलने वाली नहीं। शेरा  ‘‘सोच तो मैं भी यही रहा हूं। गुन्डा  ‘‘अरे सोचना क्या है, ले उड़ा दे साले को, फिर हम इस छमिया को देखते हैं।“ (अपनी अन्टी से निकाल कर पिस्तौल शेरा के हाथ में दे देता है।)

सीन नं.-66 शेरा    (शेरा अभय पर निशाना लगाकर एक गोली चला देता है।)

सीन नं.-67 अभय (अभय अपनी ओर आती गोली को देख लेता है तथा उससे बच जाता है। गोली होटल के एक वेटर को जाकर लग जाती है। गोली चलते ही होटल में भगदड़ मच जाती है। ज्वाला की नजर शेरा पर पड़ जाती है।) ज्वाला (गुस्से में) ‘‘तू अपनी कमीनगी से बाज नहीं आया शेरा, ‘‘अरे मुझसे बड़ी कमीनी तो तू है। प्यार मुझसे किया और शादी इससे कर ली। इसके साथ में तुझे कभी नहीं जीने दूंगा। मार डालूंगा इसे (अभय पर दोबारा निशाना लगाता है।) ज्वाला ‘‘तू क्या सोचता है इसे मारकर तू मुझसे शादी कर लेगा। तेरे जैसे कमीने से तो मैं इस जन्म में तो क्या सात जन्म में भी शादी नहीं करूंगी। गुन्डा                (जिसने शेरा को पिस्तौल दी थी, बोल पड़ता है।) ‘‘अरे छमिया इससे नहीं करेगी तो हमसे कर ले। हम भी तो आखिर जवान हैं।

सीन नं.-68 ज्वाला  (चैकते हुए गुन्डे की ओर देखती है।) ‘‘अच्छा तू भी यहां आ गया।

सीन नं.-69 बाकी दो गुन्डे ‘‘तू भी नहीं, हम भी, ज्वाला ‘‘अच्छा तुम सब यहीं पर हो लगता है अब तुम्हारा दुनिया से टिकट काटना ही पड़ेगा। (ऊपर को हाथ उठाकर) ‘‘आओ यमदूतों इन चारों को भी यमराज के पास लेकर जाओ। बहुत जी लिये इस दुनिया में।

सीन नं.-70 गुन्डा  (शेरा के हाथ से पिस्तौल छीनकर ज्वाला पर निशाना लगाते हुए) ‘‘चल पहले तू ही जा यमराज के पास, हम तो बाद में चले जायेंगे। तुझको ज्यादा जल्दी है। (ज्वाला पर गोली चला देता है।)

सीन नं.-71 (ज्वाला फुर्ती से उछलकर अपने आपको गोली से बचाते हुए गुन्डे के थोबड़े पर एक जोरदार लात जड़ देती है। गुन्डे के कई दांत टूटकर नीचे गिर जाते हैं और मुंह से खून बहने लगता है। कुछ ही देर में ज्वाला तीनों गुन्डों को मार-मार कर मौत के घाट उतार देती है। तथा उन गुन्डों की पिस्तौल उठाकर शेरा पर निशाना लगाते हुए)

सीन नं.-72 ज्वाला ‘‘अब तेरा क्या करूं? मुझको को तो लगता है अब तुझे इस दुनिया में छोड़ना अच्छा नहीं, मेरे गले की हड्डी ही बना रहेगा तू। चल तुझको भी भेज देती हूं।

सीन नं.-73 शेरा (डरते हुए) ‘‘नहीं-नहीं ज्वाला बस एक बार माफ और कर दे। आज के बाद फिर ऐसा नहीं करूंगा।

सीन नं.-74 ज्वाला ‘‘हां तुझको छोड़ना ही पड़ेगा, मुझसे प्यार जो करता है जा भाग जा यहां से, नहीं तो खोपड़ी में बहुत गोली भरूंगी।

सीन नं.-75 शेरा (शेरा चुपचाप होटल से निकल लेता है। मन ही मन कहता है) ‘‘मुझे मार भी कैसे सकती है आखिर मैं तो तेरा प्यार हूं। लेकिन तू चिन्ता मत कर मैं तुझे जरूर मारूंगा। (बाहर जाकर जोर-जोर से हंसता है।) ‘‘हा…हा…, हा…हा… जान बची तो लाखों पाये लौट के बुद्धू घर को आये। हा… हा…, हा… हा….’’ (अपने घर को चला जाता है।)

सीन नं.-76 ज्वाला (अभय से) ‘‘हम दोनों ने शादी क्या कर ली ये शेरा तो हमारी जान के पीछे ही पड़ गया। चलो घर चलते हैं। (दोनों उठकर अपनी गाड़ी में बेठकर घर चल देते हैं।)

सीन नं.-77 ज्वाला (दोनों गाड़ी में जा रहे होते हैं। ज्वाला अभय से)‘‘मेरी तो कुछ समझ में नहीं आ रहा कि मैं क्या करूं। मैं जब से तुम्हारी जिन्दगी में आयी हूं तुम पर तो मुश्बितों के पहाड़ ही टूट पड़े। ये सब मेरी ही वजह से हो रहा है तुम्हारे साथ। मैं तुम्हारी जिन्दगी में नहीं आती तो अच्छा रहता। (आंखों में आंसू भर लाती है।) अभय, ‘‘ऐसा मत कहो ज्वाला ऊपर वाला जो करता है अच्छा ही करता है। हमारी किस्मत में ऐसा ही था। भाग्य के आगे किसी का वस नहीं चलता। सब कुछ ठीक हो जायेगा। तुम चिन्ता मत करो। जिन्दगी में सुख-दुख तो आते ही रहते हैं। आज दुख हैं तो कल सुख भी आयेगें। सुख में तो सभी खुशी से जीते हैं, लेकिन जो दुख में भी खुशी से जीये वही तो इन्सान है। दुख में भी हसकर जीना सीखो फिर दुख, दुख नहीं रहेगा वह खुशी बन जायेगा। (इन्हीं बातों में दोनों घर पहुंच जाते हैं। दोनों गाड़ी से उतरते हैं और घर में अन्दर चले जाते हैं।) ज्वाला, ‘‘अब हम किसी होटल में नहीं जायेंगे, मैं अभी खाना बनाकर लाती हूं। अपनी घर भी किसी फाइव स्टार होटल से कम नहीं। आज अपनी हनीमून की रात है फिर दोनों सोते हैं।

सीन नं.-78 गब्बर (उधर शेरा ज्वाला और को अभय को मारने के लिए तीसरा प्लान बनाता है और अपने दोस्त गब्बर के पास पहुंचता है।) (शेरा को देखकर) ‘‘अरे वाह शेरा बड़े दिनों में आया। आज कैसे याद आ गई हमारी। तू तो उसके प्यार में गब्बर को ही भूल गया, और बता कैसा चल रहा है तेरा प्यार? ठीक है हमारी भाभी भी कम से कम एक बार तो इस गरीब खाने में लेकर आ जाता। शेरा (अब बस कर गब्बर बस कर) ‘‘बहुत बड़ा धोखा खाया है मैनें उस कमीनी के चक्कर में। गब्बर ‘‘क्यों क्या हुआ? हम तो पहले ही कहते थे। इन छोकरियों के चक्कर में मत पड़ मीठी छुरी होती हैं शाली। आज यहां तो कल वहां पैसे के पीछे भागती हैं। क्या हुआ कुछ तो बता?’’ शेरा ‘‘उसने दूसरे से शादी कर ली। गब्बर    (हसते हुए) ‘‘हा… हा…, हा…हा… दूसरे से शादी कर ली। अब तू घूम सड़क पर लटका कर। अब क्या करेगा और कोई चारा भी तो नहीं है तेरे पास। शेरा (गुस्से में) ‘‘तुझको तो हसी आ रही है। मेरा खून खोल रहा है। तू ही बता मैं क्या करूं। गब्बर, (हसते हुए  पानी से भरा गिलास उठाकर) ‘‘ले इस में डूब मर, हीजड़ा कहीं का। अबे एक लड़की को नहीं सम्भाल सका तो क्या करेगा? चुल्लू भर पानी में डूब कर मर जाना चाहिए तुझे।

सीन नं.-79 (उधर अभय और ज्वाला खाना खाकर हनीमून के लिए कमरे में चले जाते हैं, और बिस्तर पर जाकर लेट जाते हैं।) अभय (ज्वाला से) ‘‘बाकी सभी काम बात में होगें, पहले मुझे ये बता कि ये कौन है जो तेरी जान के पीछे हाथ धोकर पड़ा है। ज्वाला, ‘‘कुछ मत पूछो उसके बारे में। अभय, ‘‘नहीं ज्वाला तुम्हें मुझे सब कुछ बताना होगा। आखिर तुम मेरी पत्नी हो, मुझे नहीं बताओगी तो फिर किसको बताओगी। (पूछने की जिद करने लगता है।) ज्वाला, ‘‘ठीक है यदि तुम जानना चाहते हो तो बता देती हूं।“ (ज्वाला अभय को अपने जन्म की कहानी सुनाने लगती है।)

सीन नं.-80 शेरा (उधर शेरा गब्बर से) ‘‘अब कुछ बतायेगा भी या ऐसे ही खिल्लियां उड़ाता रहेगा। गब्बर ‘‘हां-हां सब कुछ बताउंगा, पहले तू तो बता कि वो कैसे फंसी तेरे जाल में, आ इधर बेठ बता मुझे सब। (शेरा भी गब्बर को अपने बचपन की कहानी सुनाने लगता है।)

सीन नं.-81 ज्वाला (ज्वाला अभय को बताने लगती है।) मेरे पापा और शेरा के पापा एक ही स्कूल में टीचर थे। वे दोनों एक दूसरे के पक्के दोस्त थे। इसलिए दोनों ने घर भी साथ-साथ बनाया था। बचपन से ही मैं और शेरा साथ-साथ रहे, पढ़े और बड़े हुए।

सीन नं.-82 शेरा (उधर शेरा गब्बर से) ‘‘मेरे पापा और ज्वाला के पापा बचपन के दोस्त थे। वे दोनों एक ही स्कूल में टीचर थे। मेरे मम्मी पापा ने बचपन में ही ज्वाला का हाथ मेरे लिए मांग लिया था। लेकिन वे पहले ऊपर वाले ने बुला लिये। यदि आज वे जिन्दा होते तो मुझे ये दिन देखना नहीं पड़ता। ज्वाला की शादी मेरे ही साथ होती। (आंखों में आसूं भर लाता है, और रोने लगता है।) गब्बर, ‘‘बड़ी दर्द भरी कहानी है तेरी। बचपन की मौहब्बत जवानी में छिन गयी। अब भूल जा उसे। शेरा ‘‘बचपन की मौहब्बत है, कैसे उसे भुल जाऊं। गब्बर              (शेरा के कन्धे पर हाथ मारते हुए) ‘‘बस-बस अब बस मुझे भी दर्द होने लगा। आगे बता।

सीन नं.-83 ज्वाला (उधर ज्वाला अभय से) ‘‘एक दिन मैं और मेरे मम्मी पापा शेरा के जन्मदिन पर शेरा के घर गये। उस समय मैं लगभग पांच साल की थी।

सीन नं.-84 (15 साल पहले) सुरेश (ज्वाला के पापा सुरेश ज्वाला की मम्मी शालू से) ‘‘शालू जल्दी करो यार अभी बाजार भी जाना है। शालू, ‘‘मैं तो तैयार हूं बस ज्वाला बेटी को कपड़े पहना लूं। (अलमिरा से कपड़े निकालकर लाती है और ज्वाला को पहना कर) ‘‘चलो बेटा डेडी का हाथ पकड़ लो।“ (तीनों रास्ते में मार्किट से एक गिफ्ट लेकर शेरा के जन्मदिन में जाने के लिए चल देते हैं। तीनों शेरा के घर पहुचते हैं। शेरा का बाप नरेश उन तीनों को देखकर, दोड़कर ज्वाला को गोद में उठाते हुए) नरेश ‘‘मेरी बेटी आ गयी। ठीक है तू ज्वाला बेठी। ज्वाला ‘‘हां अंकल”  नरेश,  ‘‘आज तो बहुत जल्दी आ गये, हर बार तो बहुत इन्तजार कराते हो।“ सुरेश, (हंसते हुए, पास ही खड़े शेरा के कन्धे पर हाथ मारते हुए) ‘‘अपने लायन का जन्मदिन जो है, जल्दी तो आना ही पड़ेगा” (दोनों हंसते हुए एक दूसरे चिपट जाते हैं।)

सीन नं.-85 (ज्वाला और शेरा की मम्मी भी आपस में गले मिलती हैं। पूरा हाल लोगों की भीड़ से खचाखच भरा होता है। सभी मेहमान आ चुके होते हैं। जन्मदिन की पूरी तैयारी हो चुकी होती है। सभी लोग बड़ी केक से भरी टेबल के चारों तरफ खड़े हो जाते हैं।)

सीन नं.-86 नरेश  (सभी को सम्बोधित करते हुए) ‘‘ये तो आप सभी जानते हैं कि हम सब लोग यहां पर क्यों इक्ट्ठा हैं। लेकिन माफ करना एक बार फिर भी बता देता हूं। (शेरा के सिर पर हाथ रखकर) ‘‘आज हमारे शेर का सातवां जन्मदिन है। (पूरा हाल तालियों से गूंज उठता है।) नरेश (शेरा से) ‘‘बर्न आउट द कैन्डल माई लाइन, (शेरा सभी मोमबत्तियों को बुझा देता है। दोबारा सारा हाल तालियों से गूंज उठता है।)

सभी बोलते हैं। ”हैप्पी बर्थ डे टू यू,  हैप्पी बर्थ डे टू यू,  हैप्पी बर्थ डे टू यू शेर।

सीन नं.-87 नरेश, ‘‘नाव बाइट द केक माइ डियर” (शेरा चाकू उठाकर केक काटता है, सभी को केक बांटा जाता है। सभी लोग शेरा को गिफ्ट दे-देकर जाने लगते हैं।)

सीन नं.-89 सुरेश , ज्वाला (अपना  गिफ्ट ज्वाला को देकर) ‘‘लो बेठी तुम भी दे दो शेरा को अपना  गिफ्ट” (ज्वाला  गिफ्ट लेकर शेरा को देते हुए) ‘‘लो अपना  गिफ्ट”

सीन नं.-91 नरेश  (सुरेश से) ‘‘बुरा ना माने तो एक बात कहूं। सुरेश   ‘‘बुरे की ऐसी की तेसी आज तक बुरा माना है क्या, जो आज बुरा मानूंगा। बोल क्यों दिल में दबा रहा है।

नरेश, ‘‘देख अपनी ज्वाला और अपने शेरा की जोड़ी कितनी अच्छी लग रही है। मैं तुझसे अपने शेरा के लिए ज्वाला की भीख मांगता हूं। दे-दे मेरे दोस्त, आज तेरा दोस्त तुझसे भीख मांगता है। सुरेश               , ‘‘अरे अभी तो ये बच्चे हैं, तू भी बस क्या-क्या बोलता रहता है। पहले इनको बड़ा तो होने दे। नरेश, ‘‘बच्चे हैं तो बड़े भी हो जायेंगे। मैं अभी से ज्वाला की तुझसे भीख मांगता हूं और किसी को मत देना ज्वाला को। सुरेश, ‘‘चल ठीक है। ले-ले। (शेरा गीत गाने लगता है।) ‘‘मैनें तो तुझको अपना हमदम चुन लिया….

मैनें तो तुझको अपना हमदम चुन लिया

संग तेरे रहने का सपना मैनें बुन लिया

अब तू भी बता सनम तेरी मर्जी है क्या

तेरा इन्तजार मैं करूं उस मोड़ तक

जिन्दगी के ओ सनम आखिरी छोर तक

ना और किसी के लिए दिल में है जगहा

मैनें…………………………………………..

कहीं और जाना ना तुम सपने मेरे तोड़ के

बीच राह में सनम मुझसे मुंह मोड़कर

तेरे संग रहना है हमें तुझसे ही करनी वफा

मैनें…………………………………………..

संग-संग चलेंगे दोनों जिन्दगी की राहों में

तुमको रखंूगा जानम इन दोनों बाहों

छोडूंगा ना मैं तुमको मेरा ये वादा रहा

मैनें…………………………………………..

नरेश, ‘‘आज से ज्वाला बेटी तुम हमारी हुईं’’ (सभी लोग अपने-अपने घर को चले जाते हैं। ज्वाला और उसके मम्मी पापा भी चल देते हैं। उसी दिन से ज्वाला और शेरा की दूरियां कम होने लगती हैं। दोनों को एक ही स्कूल में दाखिला दिलाया जाता है। दोनों साथ-साथ पढ़ने जाते हैं। साथ-साथ खेलते हैं।)

सीन नं.-90 (सात साल बाद) एक दिन ज्वाला और शेरा पैदल स्कूल जा रहे होते हैं।)

ज्वाला, (शेरा से) ‘‘शेरा आज मेरा मन कुछ उखड़ा-उखड़ा सा हो रहा है। स्कूल जाने का मन भी नहीं कर रहा है। बस तेरे साथ चल ही रही हूं, कोई अनहोनी ना हो जाये।’’

शेरा, ‘‘तू भी कैसी बात करती है जब तक मैं हूं कुछ नहीं होगा तुझे’’

सीन नं.-91 (तभी एक तेज रफ्तार से आ रही गाड़ी ज्वाला को एक्सीडेन्ट करके चली जाती है। ज्वाला एक और को गिर जाती है।) शेरा, (चिल्ला पड़ता है।) ‘‘नहीं, ज्वाला नहीं। (बड़ी तेज गति से गाड़ी के पीछे दौड़ता है, लेकिन हाथ नहीं आती। वापस पड़ी ज्वाला के पास आ जाता है और गोद में उठाकर ज्वाला को लेकर चल देता है।) ‘‘तुझे कुछ नहीं हो सकता ज्वाला, तुझे कुछ नहीं हो सकता। मैं तुझे अपना खून देकर भी बचा लूंगा। (ज्वाला को लेकर एक हास्टिल में पहुंचता है, हास्पिटल में ज्वाला को नीचे लिटाकर चिल्लाने लगता है।) ‘‘डाक्टर-डाक्टर मेरी ज्वाला को देखो, देखो इसे क्या हो गया है।

सीन नं.-92 डाक्टर (दो डाक्टर अन्दर से निकल कर आते हैं और ज्वाला को बेड पर लिटाकर देखने लगते हैं।) ‘‘घबराओ नहीं बेटा ये ठीक हो जायेगी। इसको खून की आवश्यकता है। शेरा ‘‘डाक्टर आप मेरा खून ले लीजिए, बस मेरी ज्वाला को ठीक कर दीजिए।

सीन नं.-93 (डाक्टर शेरा को एक रूम में ले जाते हैं और उसका बल्ड निकालकर ज्वाला को चढ़ाते हैं, कुछ ही देर में ज्वाला होश में आ जाती है।)

सीन नं.-94 ज्वाला (ज्वाला होश में आने के बाद) ‘‘शेरा, शेरा किधर है तू मेरे भाई।

सीन नं.-95 शेरा, (शेरा ज्वाला की आवाज सुनकर चैकते हुए) ‘‘ज्वाला तुम ठीक हो गयीं। देखा ज्वाला मैनें कहा था ना मैं तुम्हें अपना खून देकर भी बचा लूंगा, बचा लिया ना मैनें तुम्हें।  (दोनों एक दूसरे से लिपट जाते हैं।) डाक्टर अंकल क्या अब हम घर जा सकते हैं। डाक्टर, ‘‘हां जाओ बेटा, लेकिन आराम से जाना इसको थोड़ी कमजोरी है, लो ये दवाई खिलाते रहना। शेरा, ‘‘थैक्यू डाक्टर साहब।“ (दोनों हाथ पकड़कर चल देते हैं। दोनों घर पहुच जाते हैं।)

सीन नं.-96 ज्वाला, (अभय से बिस्तर पर लेटे हुए) ‘‘बस तभी से मैं शेरा को अपना भाई मानने लगी। यदि वह नहीं होता तो मैं आज तुमको नहीं मिलती। मेरे शरीर में उसका ही खून दौड़ता है। लेकिन शेरा मुझे भी बहन मानने के लिए राजी नहीं था।’’

सीन नं.-97 अभय ‘‘क्या तुम अपने बचपन के प्यार को खोकर खुश हो?’’ ज्वाला ‘‘पति के लिए तो मम्मी पापा बहन भाई सबको छोड़ना पड़ता है। अब तो मैं तुम्हारी हूं सिर्फ तुम्हारी,  (दोनों हनीमून मनाने लग जाते हैं।)

सीन नं.-98  गब्बर (उधर गब्बर शेरा से) ‘‘देख अब तू कुछ भी कर ले वो तुझे मिलने वाली तो है नहीं। तेरा खून उसके अन्दर है, इससे तो अच्छा है तू उसे अपनी बहन ही बना ले। शेरा, (शेरा चैकते हुए) ‘‘ये क्या कह रहा हो तू, ऐसा कैसे हो सकता है। अपने प्यार को अपनी बहन बना लूं। गब्बर ‘‘ठीक ही तो कह रहा हूं, तेरा खून ही तो है उसमें। शेरा, (गुस्से में) ‘‘नहीं ऐसा नहीं कर सकता मैं। तू ये बता मैं उसको ठिकाने लगाउंगा तू मेरा साथ देगा या नहीं?’’ गब्बर, ‘‘दोस्त है तो साथ देना ही पड़ेगा। ठिकाने लगाना तो अपना दादा लायी धन्धा है। अभी और सोच ले, अपने खून को मरवाना चाहता है या नहीं, खूब सोचकर मुझको बता। शेरा     ‘‘मैनें खूब सोच लिया है। रात-दिन सोच लिया है। इसके अलावा मैं और कुछ भी नहीं करूंगा। नहीं जीने दूंगा उसको इस दुनिया में। गब्बर ‘‘खूब सोच लिया है तो चल हम भी देखते हैं उस छोकरी को, कैसे हमारे दोस्त को धोखा दे दिया उसने। (अपने आदमियों को आवाज लगाते हुए) ‘‘चलो अपनी गाड़ी निकालो।

सीन नं.-99 गब्बर (गब्बर के छः खतरनाक गुन्डे बन्दूक, चाकू आदि लेकर अपनी जीप गाड़ी स्टार्ट करते हैं। गब्बर और शेरा भी उस गाड़ी में बेठ जाते हैं, और सभी चल देते हैं।) गाड़ी होटल में ले लो, आराम से खा पी कर चलेंगे।

सीन नं.-100 (कुछ दूर गाड़ी चलने के बाद एक होटल आता है, वे उसी में गाड़ी लगा देते हैं और सभी शराब पीने लगते हैं।) गब्बर, (शराब पीते हुए शेरा से) ‘‘शेरा तू जानता है अपने इन चमचों को शराब के साथ-साथ शबाब और कबाब भी चाहिए तभी ज्यादा अच्छा काम करते हैं ये जा बोल उस होटल के मैनेजर कुत्ते को कि हमारे लिए शबाब और कबाब का इन्तजाम करे। (सभी होटल में खाने पीने में लग जाते हैं।)

सीन नं.-101 (उधर ज्वाला और अभय अपना हनीमून खत्म करके एक दूसरे से लिपट कर सो जाते हैं।)

सीन नं.-102 (सभी गुन्डे खा पीकर तैयार हो जाते हैं।) गब्बर, (शेरा से) ‘‘अब अपने शेर खा पी कर फिट हो गये हैं, चल अब देखते हैं तेरी लैला को। (सभी गाड़ी में बेठकर चल देते हैं। कुछ ही देर में अभय के घर पहुंच जाते हैं।)

सीन नं.-103 (अभय और ज्वाला को इस बात का बिल्कुल भी पता नहीं होता, वे दोनों एक दूसरे को बाहों में भरे सोते रहते हैं।)

सीन नं.-104 शेरा  ‘‘चलो आ गया अपने दुश्मन का घर आज या तो ये मेरे दिल में आग लगाने वाली रहेगी या मैं रहूंगा। गब्बर, ‘‘अबे कैसी बाते करता है तू, या तो तेरे दिल में आग लगाने वाली रहेगी या तू रहेगा। गब्बर के सामने गब्बर से कभी गब्बर का दुश्मन बचा है क्या? अभी खलास कर देता हूं दोनों को।“ (सभी अपने अपने हथियार लेकर गाड़ी में से उतरते हैं और अभय के घर में घुस जाते हैं। जिस कमरे में अभय और ज्वाला सोये होते हैं उसका दरवाजा बन्द होता है। शेरा दरवाजा खटखटाता है।)

सीन नं.-105 ज्वाला (दरवाजे के बजने की आवाज से अभय और ज्वाला की आंखे खुल जाती हैं।) (धीरे से अभय से) ‘‘लगता है फिर शेरा आ गया है। अबकी बार मैं इस कमीने को जिन्दा नहीं छोडूंगी। अभय, ‘‘ज्वाला जल्दी मत करो। पहले दोनों पिस्तौल ले लेते हैं। (अभय एकदम धीरे से उठकर बिस्तर के नीचे से दो पिस्तौल निकालता है। एक ज्वाला को देता है और एक खुद लेता है।)

सीन नं.-106 शेरा  (शेरा फिर दरवाजा खटखटाता है।) ‘‘अबे दरवाजा खोलो चूहे के बच्चो, मौत तुम्हारा इन्तजार कर रही है। बिल से बाहर निकलो।

सीन नं.-107 अभय, ‘‘अबे ओ गीदड़ की औलाद कौन है तू?’’

सीन नं.-108 शेरा  ‘‘मैं तेरी बीबी का दिवाना। इसका प्यार। पूछ अपनी बीबी से कौन हूं मैं। तू मेरे प्यार को ले आया तुझको भी नहीं छोडूंगा। आज तो तुम दोनों को यमराज के पास भेजकर ही जाऊंगा। आग लगी है मेरे दिल में आग और ये आग तुम दोनों के खून से ही बुझेगी। आज और अभी।“

सीन नं.-109  ज्वाला, (ज्वाला गुस्से में एकदम चिल्ला पड़ती है।) ‘‘शेरा आ आ, आज तू मेरे हाथों से नहीं बच सकता। ज्वाला हूं मैं ज्वाला, जला कर खाक कर दूंगी तुझे।

सीन नं.-110 शेरा  ‘‘अरे तू मुझे क्या खाक करेगी, आज तू ही खाक हो जायेगी। मैं अकेला नहीं मेरे साथ और भी मेरे साथी हैं।

सीन नं.-111 ज्वाला, (दरवाजे में जोरदार लात मारकर तोड़ते हुए) ‘‘रुक अभी देखती हूं तुझको और तेरे साथियों को। (दरवाजा टूटकर एक ओर को गिर पड़ता है। ज्वाला सामने खड़े दो गुन्डों में एक साथ गोली ठोक देती है। दोनों गुन्डे गिर पड़ते हैं।)

सीन नं.-112 अभय, (अभय भी फुर्ती से गब्बर का पिस्तौल पकड़ते हुए अपना पिस्तौल उसकी कनपटी पर लगा देता है।) ‘‘बोल कितनी गोली खायेगा। वैसे तो तेरे लिये एक ही काफी है मगर एक से थोड़ा टाईम लगेगा और तुझको यमराज के पास जाने की जल्दी है इसलिए मैं तुझे एक नहीं अनेक गोली खिलाउंगा।“ (काफी देर तक सभी में खूब लड़ाई होती है, ज्वाला और अभय सभी गुन्डों को मार देते हैं।)

सीन नं.-113 (शेरा मौका देखकर ज्वाला और अभय से बचकर भाग निकलता है।)

सीन नं-114 ज्वाला (ज्वाला भी चिल्लाते हुए शेरा के पीछे भाग लेती है।) ‘‘शेरा आ आ मैं आज तुझको नहीं छोडूंगी, तू जब तक इस दुनिया में रहेगा मुझको परेशान करेगा आज तो मैं तेरा खेल खत्म करके ही दम लूंगी। (बड़ी तेज गति से दौड़ते हुए) ‘‘रुक जा शेरा नहीं तो गोली चला दूंगी। रुक जा आ।

सीन नं.-115 अभय, (गब्बर भी अभय से छूटकर उसी ओर भाग लेता है, जिस ओर को शेरा भाग रहा होता है। अभय उसके पीछे दौड़ने लगता है।) ‘‘आज तुम दोनों हमारे हाथों से नहीं बच सकते।

सीन नं.-116 (काफी दूर दौड़ने के बाद ज्वाला शेरा को और अभय गब्बर को पकड़ लेता है। दोनों, दोनों को मारते हैं। खूब मारने के बाद ज्वाला शेरा को गोली मारने के लिए निशाना लगाती है, तथा अभय गब्बर को गोली मारने के लिए उसपर निशाना लगाता है।) शेरा, (हाथ जोड़कर रोते हुए) ‘‘नहीं ज्वाला बहन नहीं, बस इस बार और माफ कर दो।

सीन नं.-117 ज्वाला, (ज्वाला को शेरा के साथ गुजारे अपने बचपन के दिन याद आ जाते हैं, और उसकी आंखें भर आती हैं। ज्वाला अपनी पिस्तौल दूर फैंकते हुए) ‘‘शेरा मेरे भाई। कितना बड़ा पाप कर रही थी मैं तूने मुझे याद दिला दिया। मेरे भाई’’ (दौड़ते हुए शेरा से लिपट जाती है।) शेरा, ‘‘पाप तू नहीं ज्वाला बार-बार मैं कर रहा था। मुझे माफ कर दे मेरी बहन, मुझे माफ कर दे। यदि तूने मुझे माफ नहीं किया तो ऊपर वाला भी मुझे माफ नहीं करेगा। मुझे माफ कर दे मेरी बहन मुझे माफ कर दे।’’ (ज्वाला के पैरों में गिर पड़ता है।)

सीन नं.-118 (ज्वाला को शेरा को देखकर अभय भी गब्बर से अपना निशाना हटा लेता है, और पिस्तौल को दूर फैंक देता है।) गब्बर (हाथ जोड़कर रोते हुए) ‘‘जीजा जी मुझे माफ कर दो। बहुत पाप किये हैं मैंने, आज पहली बार मुझे अपनी गलती का अहसास हो रहा है। आज पहली बार माफी मांग रहा हूं। माफ कर दो मुझे। (अभय के पैरों में गिर पड़ता है।)

सीन नं.-119 (ज्वाला शेरा को और अभय गब्बर को माफ कर देते हैं। चारों एक साथ इकट्ठे होते हैं।) ज्वाला (हंसते हुए) ‘‘ज्वाला देवी पंगा लेना मंहगा पड़ा ना शेरा। बच गया नहीं तो जल जाता। (चारों हंसते हैं।)

-: समाप्त:-

धर्मवीर सिंह पाल

फिल्म राइटर्स एसोसिएशन मुंबई के नियमित सदस्य, हिन्दी उपन्यास "आतंक के विरुद्ध युद्ध" के लेखक, Touching Star Films दिल्ली में लेखक और गीतकार के रूप में कार्यरत,