मुक्तक/दोहा

अक्षय तृतीया (दोहे)

लगते ही बैसाख में, आता है त्यौहार।
अक्षय तिथि के दिन सखी, छाये खुशी अपार।।

इस दिन शुभ होता सखी, जन्म लिये भगवान।
परशुराम भगवान का, करते मंगल गान।।
करते पूजा पाठ जी, बनते फूलों हार।
अक्षय तिथि के दिन सखी, छाये खुशी अपार।।

गुड्डा गुड़िया खेलते, मिलकर बच्चे आज।
गुड़िया को दुल्हन बना, करते उनको साज।।
रहते हैं सब साथ में, सुंदर सा परिवार।
अक्षय तिथि के दिन सखी, छाये खुशी अपार।।

दीन दुखी को आज जी, करते मिलकर दान।
रोग कष्ट सब दूर हो, वर माँगे इंसान।।
हाथ जोड़ विनती करे, जाते ईश्वर द्वार।
अक्षय तिथि के दिन सखी, छाये खुशी अपार।।

द्वापर युग का अंत हो, आया कलयुग धाम।
शुभ मुहूर्त सब मान कर, करते मंगल काम।।
परशुराम भगवान का, गूँजे जय जय कार।
अक्षय तिथि के दिन सखी, छाये खुशी अपार।।

— प्रिया देवांगन “प्रियू”

प्रिया देवांगन "प्रियू"

पंडरिया जिला - कबीरधाम छत्तीसगढ़ Priyadewangan1997@gmail.com