गीत/नवगीत

दर्द ने दस्तक दी

आज फिर दर्द ने मेरे दिल पर दस्तक दे दी
हमें यू ना रुलाओ… मैंने इस दर्द से कह दी ।।
खामोशी सै सब कुछ हम
चुपके से सहे थे जाते …
खामोशी तोड़ी हमने जब
हमें ही चरित्रहीन दुनिया कह दी।।
आज फिर दर्द ने मेरे दिल पर दस्तक दे दी ।।
कब तलक यूं घुट-घुट के बताओ
चार दीवारी में हम जिये जाते
तोड पैरों कि जंजीरें मिले दुनिया से
तब दुनिया ही हमें पत्थर कह दी।।
आज फिर दर्द ने मेरे दिल पर दस्तक दे दी ।।
सोचा करती , नजर अंदाज़ कर सबको
मुझे आगे सिर्फ बढ़ना है
नजर अंदाज़ किया जब जमाने को
जमाने ने मगरूर नाम की उपाधी दे दी।।
आज फिर दर्द ने मेरे दिल पर दस्तक दे दी ।।
इस ओर जाऊं मैं , तो भी खाई मेरे
उस ओर जाऊं तो भी खाई मेरे
बताओ कैसे लडूं इस जमाने से जिसने
मेरे आंखों में फरेब कि अग्नि दे दी।।
आज फिर दर्द ने मेरे दिल पर दस्तक दे दी ।।
नाकामयाब से कामयाबी कि ओर
बढ़ना , अब मैं दिल से चाहती
चाहत को सहारे के पंख मिले नहीं
आज मेरी अपनी वेदना कह दी।।
आज फिर दर्द ने मेरे दिल पर दस्तक दे दी ।
— वीना आडवाणी तन्वी

वीना आडवाणी तन्वी

गृहिणी साझा पुस्तक..Parents our life Memory लाकडाऊन के सकारात्मक प्रभाव दर्द-ए शायरा अवार्ड महफिल के सितारे त्रिवेणी काव्य शायरा अवार्ड प्रादेशिक समाचार पत्र 2020 का व्दितीय अवार्ड सर्वश्रेष्ठ रचनाकार अवार्ड भारतीय अखिल साहित्यिक हिन्दी संस्था मे हो रही प्रतियोगिता मे लगातार सात बार प्रथम स्थान प्राप्त।। आदि कई उपलबधियों से सम्मानित