कविता

मंजिल

संघर्षों का कोई तौल-मोल ही नही
इससे बढ़कर कोई अनमोल नही।

संघर्षों से मिलता है जरूर मंजिल
कोई भी काम होता नही मुश्किल।

अगर होंगे तुम्हारे इरादे मजबूत
लक्ष्य पर लगेगा निशाना अचूक।

करले बुलंद हौसलों के उड़ानों को
और दिखादे तू हौसले जमानों को।

बाजुओं में ताकत,इरादा हो अटल,
मन में हो विश्वास,मन जाए मचल।

पानी मे भीगोगे तो लिबास बदलोगे
पसीने से भिगोगे इतिहास बदलोगे।

मन में हो दृढ़ता करलो दृढ़ संकल्प
बिना संघर्ष के नही है कोई विकल्प।

जो मन मे है सपने करो उसे साकार
पीछे न हटना,हो जाए आर या पार।

— अशोक पटेल “आशु”

*अशोक पटेल 'आशु'

व्याख्याता-हिंदी मेघा धमतरी (छ ग) M-9827874578