माँ
ज़िंदगी का मधुर गीत है वो,
साँसों की साँस से प्रीत है वो,
सह जाती बिन कहे सब वह,
जहां की अनोखी रीत है वो |
रक्त में बहता संगीत है वो ,
दिल का करीबी मीत है वो ।
पिघलें गोद में सैलाब जिसकी,
सच्ची मुस्कुराहट की जीत है वो |
लगे गर्मी तो पल में बनती शीत है वो ,
जाड़े में उष्णता-आगोश की भीत है वो।
झुके भगवान भी जिसके चरणों में,
नन्हा है खुश-नसीब, जिसे नीत है वो |
— भावना ‘मिलन’ अरोरा