मुक्तक/दोहा

रख

सुन मुसीबतों के दौर में तू धैर्य की ढाल रख
वो आएंगे वो जाएंगे अपना ह्रदय विशाल रख
कर अपना रखरखाव जिंदगी के उतार-चढ़ाव
हो मंजिल पर बस नजर ऐसा ये ख्याल रख

युद्ध के लिए तैयार हो अपनी तीर कमान रख
योद्धा सा हो जिगर तेरा अपने सारे सामान रख
समर में कूदने से पहले शिलालेखों को पढ़ो जरा
जीत ही हो ध्येय तेरा हथेली पर अब बलिदान रख

मौन ना होने पाए कोई ध्वनि शेर की दहाड़ रख
टकराए जो भी चूर हो कला धोबी पछाड़ रख
खलबली मचा दे तू दुश्मन की सारी टोली में
अतिशयोक्ति होगी ये सामने काट के पहाड़ रख

 

प्रवीण माटी

नाम -प्रवीण माटी गाँव- नौरंगाबाद डाकघर-बामला,भिवानी 127021 हरियाणा मकान नं-100 9873845733