छल, छद्म की छवि सुंदर
छल, कपट, धोखे की पुतली, कमाल कालिमा लगती हो।
छल, छद्म की छवि सुंदर, षड्यंत्र लालिमा सजती हो।।
काजल कीचड़ सी हो शोभित।
भूखी सदैव, पैसे की लोभित।
झूठ से चलती सांस तुम्हारी,
सच से सदैव हो जाती क्रोधित।
लगड़ाती सी, चालें चलकर, गोलाइयों से ठगती हो।
छल, छद्म की छवि सुंदर, षड्यंत्र लालिमा सजती हो।।
पैसा ही है लक्ष्य तुम्हारा।
पैसा ही है भक्ष्य तुम्हारा।
पैसे के लिए हद ना कोई,
पैसा ही, प्रेमी, पति, तुम्हारा।
फटी आवाज है, फटे गले की, फनकार सी फबती हो।
छल, छद्म की छवि सुंदर, षड्यंत्र लालिमा सजती हो।।
अंधेरे में खो जाती हो।
सोने के साथ सो जाती हो।
रिश्तों से तुम खेल हो करतीं,
मालामाल तुम हो जाती हो।
कानूनों को करो कलंकित, कुल की कालिमा लगती हो।
छल, छद्म की छवि सुंदर, षड्यंत्र लालिमा सजती हो।।