भले ही सुंदर वस्त्र तुम्हारे
गोल गोल गोलाइयाँ सुंदर, गहराइयों में समंदर हो।
भले ही सुंदर वस्त्र तुम्हारे, तुम उनसे भी सुंदर हो।।
फोटाे बहुत देखे हैं हमने।
वार तुम्हारे सहे हैं हमने।
चाह कर भी चाह न सकते,
विश्वासघात देखें हैं हमने।
बाहर से ना दिखलाओ केवल, दिखलाओ कैसी अंदर हो?
भले ही सुंदर वस्त्र तुम्हारे, तुम उनसे भी सुंदर हो।
जहरीली सोने की गागर।
बन ना सकी प्यार का सागर।
अपराधी को छोड़ के जाओ,
बन नहीं सकते, अब कभी नागर।
सुंदरता बाहर की केवल, अंदर से चंचल बंदर हो।
भले ही सुंदर वस्त्र तुम्हारे, तुम उनसे भी सुंदर हो।।
हमने तो था सब कुछ सौंपा।
तुमने दिल में छुरा ही भौंका।
नहीं अभी भी नफरत हमको,
किंतु बन नहीं सकतीं लोपा।
होटल की हो तुम आकर्षण, ना गुरूद्वारे की लंगर हो।
भले ही सुंदर वस्त्र तुम्हारे, तुम उनसे भी सुंदर हो।।