कविता

इजाजत

मन में उमंग भर नये सपनों को सजाएं
है तुझे भी इजाजत नये आसमाँ  छुए 
बन्धनों से मुक्ति कर आसमान में उड़े
स्वयं को कर इतना कर बुलंद नया इतिहास रचाये
समय को कर अपनी मुट्ठी में इसको व्यर्थ न करें
आज तुझे तेरी मंजिल को पाने के लिए कुछ यत्न करे
किसी के आगे हाथ न फैलाए अब तू सबल है
तुझे भी इजाज़त अपनी मर्जी से जीने हक है
 
— पूनम गुप्ता

पूनम गुप्ता

मेरी तीन कविताये बुक में प्रकाशित हो चुकी है भोपाल मध्यप्रदेश