गजल
क्यूं करें चर्चा सनम बेकार की।
बैठ कर बातें करें हम प्यार की।।
हमसे गुस्ताखी हुई क्या कह जरा।
बातें करता क्यूं तू दूजे यार की।।
उम्र भर जो रूठे हम यूंही रहे।
तो लगेगी जिन्दगी नादार की।।
अपने दिल की बातें तुमसे कह दिया।
हो वज़ह चाहे तेरे इंकार की।।
कशमकश में वक्त बीता जाये रे।
आयेगी कब वो घड़ी इकरार की।।
बात दिल की आज कहनी ही पड़ी।
होगी कोई तो दवा बीमार की।।
कैसे मैं तुमको भुला दूं ऐ बता।
हो गई हद मेरे भी इन्तज़ार की।।
अब न तुमसे हम कहेंगे दर्दे दिल।
तूने मेरी जिंदगी दुश्वार की।।
— प्रीती श्रीवास्तव