कहानी

मिसेज वर्ल्ड

शादी सात जन्मों का बंधन होता है।यहीं तो कह रहा था, नवीन। आज उसकी शादी की पहली रात थी। पर उसके चेहरे से खुशी पूरी तरह गायब हो चुकी थी। उसे अपने कमरे में गहरा सन्नाटा छाया हुआ था।पलक एक कोने में सजी-धज्जी खड़ी थीं। पलक उसे फूटी आँख नहीं सुहा रही थी। वह चुपचाप उसे ही देख रहा था। उसके साथ धोखा हुआ था। या उसकी खुद की ही गलती थी। उसे इस समय कुछ भी समझ नहीं आ रहा था। वह हमेशा चाहता था कि उसे परी जैसी सुंदर पत्नी मिले। पलक बहुत सुंदर थी, पर वह  उसकी हरकतों से परेशान हो उठा था। उसने सिर्फ उसकी सुंदरता देख कर, उससे शादी के लिए हाँ कर दी थीं।
आज पलक को देखकर उसके सारे सपनें मिट्टी में मिल चुके थे। पलक पढ़ी-लिखी नहीं थीं। उसका लहजा भी पूरी तरह ग्रामीणों वाला ही था। नवीन, शहर के नामी- गिरामी कॉलेज में पढ़ता था। उसकी समाज में बहुत पहचान थीं। मान-सम्मान था। पर पलक की आवाज ने उसे पागल कर दिया था। अनपढ़ गवार कहीं की।उसके कमरे के बाहर नाच-गाने की आवाजें सुनाई दे रही थीं।
सारा परिवार इतनी सुंदर बहुँ को पाकर फूला नहीं समा रहा था। पर उसके कमरे में तो कुछ और ही चल रहा था।कोने में खड़ी  पलक आंसू बहा रही थी।नवीन को अपने निर्णय पर बहुत पछतावा हो रहा था।आखिर उससे इतनी बड़ी गलती कैसे हो गई थी? उस पर कई सुन्दर लड़कियाँ मरती थी। एक से बढ़कर एक, खूब पढ़ी-लिखी, धनवान लड़कियाँ उसका साथ चाहती थी।पर वह तो पलक के रूप पर मर मिटा था।खूबसूरती ही उसकी पहली पसंद थी।
कमरे में चुपचाप खड़ी पलक धीरे-धीरे बिस्तर के पास आकर एक तरफ बैठ गई। उसके मुंह से यही निकाला, मैं सो जाऊं।वह बिस्तर पर पसर गई।उसे नवीन की कोई परवाह नहीं थीं। नवीन का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच गया। तुम्हें शर्म नहीं आती,पर वह कुछ नहीं बोली। जैसे उसने कुछ सुना ही ना हो। वह गहरी नींद में चली गई।कमरे में क्या हो रहा था? उसे इसका कोई अहसास नहीं था।वह कुछ देर उसका चेहरा देखता रहा, फिर लाइट बंद करके बिस्तर के दूसरे किनारे पर सिमट कर सो गया। पर उसकी आंखों में नींद कहाँ थीं? उसे तो अपना पूरा जीवन बर्बाद ही लग रहा था। उसकी आंखें थक चुकी थी।उसके सारे सपने टूट चुके थे।वह आज पहली बार इतना उदास,परेशान था। उसने जीवन में कभी हार नहीं मानी थी। बड़े से बड़ा संघर्ष भी उसे तोड़ नहीं पाया था। वह एक विजेता की तरह ही जीवन जीता था।पर आज की रात उसे बड़ी लंबी लग रही थी।
सुबह उसकी खिड़की के बाहर पक्षियों की कभी ना खत्म होने वाली चहचाहट हो रही थी।जो उसे नींद से जगाने के लिए काफ़ी थी। वह बिस्तर से उठ कर खड़ा हो गया।पलक अभी भी सो रही थी। जैसे उसे लम्बी क़ैद से आजादी मिल गई हो। वह उसे झकझोर देना चाहता था। पर ऐसा ना कर सका।रात की घटना ने उसे बहुत परेशान कर दिया था।जब उसने अपनी पत्नी से पूछा था।तुम कितनी पढ़ी-लिखी हो?वह चिल्लाई  थी,मुझें पढ़ना नहीं आता। स्कूल में मास्टर जी मारते थे। इसलिए मैं स्कूल नहीं जाती थी। जब उसने दोबारा पूछा था। तुम कितना पढ़ी हो? मैं तो दो कह कर वह चुप हो गई थी। दो क्या—?दो क्लास तक, कुछ लिखना-पढ़ना आता है। नहीं,वह फिर चिल्लाई थी।तुम क्यों नहीं पढ़ी?मुझें नहीं पता।उसने उसका हाथ पकड़ कर उसे जोर से झकझोर दिया था।वह ग़ुस्से से चिल्लाया था, पागल कहीं की, तुम्हें बोलने की तमीज नहीं है। वह भी चिल्लाई थी। मेरा हाथ मत पकड़ना नहीं तो, कहते-कहते वह कोने में चिपक कर खड़ी हो गई थी। नहीं तो क्या? बोलती क्यों नहीं? मैं भी तुम्हारा हाथ मरोड़ कर रख दूंगी—। हे भगवान! यह कैसी नारी है? कैसी बला से मेरा पला पड़ गया है?
वह रात की घटना को भूल जाना चाहता था।वह बिस्तर के हिलने से वर्तमान में लौट आया था।
पलक उठी और दरवाजा खोलकर बाहर चली गई।उसने नवीन की ओर कोई ध्यान नहीं दिया।नवीन का सिर दर्द से फटा जा रहा था।वह उठकर रसोई की तरफ बढ़ गया। दीदी एक कप चाय तो पिला दो।वह इससे ज्यादा कुछ नहीं कह पायाउसकी नजर कोने में खड़ी पलक पर पड़ी।वह बड़े से गिलास में चाय पी रही थी,सुपड-सुपड करके, ये क्या कर रही हो?क्या तुम्हें चाय पीनी नहीं आती? नवीन, यह गांव की है। इसे शहर के तौर-तरीके नहीं आते। गांव के लोग बहुत भोले होते हैं। पर ये बहुत भरोसेमंद होते हैं। यहीं तो उनकी सबसे बड़ी ख़ूबी होती है।क्या खाक खूबी होती है, दीदी?वह बिना कुछ कहे ही कमरे की तरफ चली गई। नवीन उसे जाते देखता रहा। वह साड़ी में ऐसे चल रही थी। जैसे उसने पहली बार साड़ी पहनी हो।
उसमें नई नवेली दुल्हन जैसी कोई बात नहीं थीं।वह एकदम अल्हड़ हिरणी की तरह पूरे घर में उछलती-कूदती फिर रहीं थी।नवीन उसे धुर रहा था। दीदी ने उसे देख लिया, सब कुछ ठीक हो जाएगा। तुम चिंता ना करो। मैं हूँ ना। मैं उससे बात करूंगी। तुम तैयार होकर कॉलेज चले जाओ। जी दीदी मेरे लिए यही ठीक रहेगा।
उदास मन से वह  कॉलेज की तरफ चल पड़ा। रास्ते भर वह अपने बारे में सोचता रहा।आसमान की तरफ देखकर मानो भगवान से कुछ कहता रहा। कॉलेज में उसका भव्य स्वागत हुआ। लड़के-लड़कियाँ उसे बधाई दे रहे थे।वह चुपचाप धन्यवाद कहता रहा। उसके चेहरे पर  उदासी साफ झलक रही थी। वह रुकना नहीं चाहता था। वह कैंटीन की तरफ बढ़ते अपने कदमों को नहीं रोक सका।नीना मैडम वहाँ पहले से ही बैठी थी। वह भी बधाई देने के लिए चली आई। सर मैंने सुना है,आपकी पत्नी बहुत सुंदर है, मिस वर्ल्ड की तरह।
वह नीना को खरी-खोटी सुनाना चाहता था। पर उसने चुप रहने में ही भलाई समझी। मैडम अपनी चाय खत्म करकें अपनी क्लास की तरफ बढ़ गई।जाते-जाते वह कह गई,यू आर वेरी लकी सर।
वह नीना के बारे में सोचने पर मजबूर हो गया ।वह उसे कितना पसंद करती थी? हमेशा उसका सहयोग करती थी। उसकी तारीफ करती थी। उसका कपड़े पहनने का ढंग कमाल का था। बस उसका रंग-रूप  साधारण सा था। वह साँवली सूरत वाली थी। इसीलिए वह उससे हमेशा दूरी बनाए रखता था। वह उसे बस अपनी सहकर्मी ही समझता था। इससे ज्यादा कुछ नहीं। पर आज उसे नीना बहुत अच्छी लग रही थी। उसकी बातें, उसका अपनापन,उसे याद आ रहा था।
क्या उसने नीना की भावनाओं का अपमान किया था।काश वह नीना से ही शादी कर लेता। उसके मन में कई तरह के विचार आ-जा रहे थे। वह घर नहीं जाना चाहता था। पर जाना तो था ही, वह मन मसोसकर घर की तरफ चल पड़ा। जैसे ही उसने घर में कदम रखा। उसने पलक को पागलों की तरह बहन के बच्चों के साथ उछल-कूद करते देखा। उसका पारा सातवें आसमान पर पहुँच गया। यह क्या मजाक है, पलक? घर को खेल का मैदान बना रखा है। तुम्हें शर्म नहीं आती। कहकर बच्चों की तरफ घूरने लगा। बच्चे डर कर कमरे में भाग गए। पर पलक पर उसकी इन बातों का कोई असर नहीं हुआ। वह बच्चों को बुलाती हुई उनके पीछे दौड़ी। दीदी,भागती हुई बाहर आई।क्या हुआ—?कुछ नहीं,दीदी कहकर वह चुप हो गया।
नवीन तुम समझदार हो।क्या करना चाहिए, क्या नहीं?तुम्हें सब पता है।पलक के अंदर अभी बहुत बचपना है। धीरे-धीरे सब ठीक हो जाएगा। तुम चिंता मत करो। आओ मैं तुम्हारे लिए खाना लगा देती हूँ। दीदी बच्चों ने खाना खा लिया। बच्चों ने या पलक ने कहकर दीदी हँस पड़ी। एक ही बात है, दीदी। वह भी तो बच्ची ही है।मैंने तो एक बच्ची से ही शादी कर ली है। भगवान मुझें कभी माफ नहीं करेगा।
ऐसा क्यों कह रहा है, पागल?और क्या कहूं, दीदी? छोड़ो यह सब बातें चल कर खाना खा लो।जैसे ही नवीन खाना खाने लगा। उसने सामने बैठी पलक से भी खाने के लिए कहा, पलक उठकर नवीन के साथ ही बैठ गई। उसने एक रोटी उठाई, उस पर थोड़ी सी सब्जी रखी, रोटी को गोल किया। और खाने लगी, बच्चों की तरह। नवीन फिर से चिल्लाया। तुम्हें खाना खाने की अक्ल नहीं है। यह क्या तरीका है? पलक पर इन बातों का कोई असर नहीं था।  वह  यूं ही रोटी खाते हुए साथ में पानी पीती रहीं।ऐसे पानी कौन पीता है, जाहिल?पलक कहाँ चुप रहने वाली थी।जाहिल तुम हो, मुझें जाहिल क्यों कह रहे हो? वह पलक को पकड़ना चाहता था।पर वह बच्चों की तरह भाग खड़ी हुई।
पहले पकड़कर तो दिखाओ, वह चिल्लाई। दीदी, यह सब देखकर जोरों से हँस-हँस कर लोटपोट हो गई।वह दीदी के करीब खड़ी हो गई। बच्चे भी खूब हँसते रहें।नवीन ने अपना माथा पीट लिया और वह कमरे में चला गया।
दीदी, कमरे में नवीन को समझाती रहीं।तुम चिंता ना करो। धीरे-धीरे सब ठीक हो जाएगा। दीदी, कुछ भी ठीक नहीं होगा।  इंसान की आदतें नहीं बदलती और पलक तो आधी पागल है। यह तो मुझें पागल बना कर छोड़ेगी। तुम्हें लगता है,वह ऐसा कर सकती है। दीदी, आप भी कितना मजाक करती हो?यहाँ मेरा जीवन खराब हो गया है। पलक भी कमरे में आ गई। उसने साड़ी इतनी अजीब तरीके से बांध रखी थी कि वह परेशान हो गया। पर चुप रहा। अरे, पलक यह साड़ी ऐसे क्यों पहनी है,दीदी बोली? दीदी खेलते समय साड़ी मेरे पैर में उलझ जाती है। बार-बार मैं गिर पड़ती हूँ।मुझें चोट लग जाती है।मैं हार जाती हूँ। तुम बड़ी समझदार हो गई हो।
हाँ, कहकर वह बच्चों की तरह खिल- खिलाकर हँस पड़ी।अच्छा अब रात होने वाली हैं। तुम सो जाओ। मैं इनके साथ नहीं —–।पर क्यों, क्या हुआ? यह मेरा हाथ मरोड़ देगें। मेरा हाथ टूट गया तो।मैं तुम्हें कुछ नहीं कहूँगा। सच्ची,हाँ सच्ची। इस बार वह भी हँसे बिना नहीं रह सका। पिछली रात की तरह ही वह बिस्तर पर पसर गई। नवीन एक किनारे क़िताब लेकर बैठ गया।वह उसे  टुकुर-टुकुर देखती रही। तुम सो जाओ, मुझे अभी नींद नहीं आएगी। तुम किताब में क्या ढूंढ रहे हो?, नवीन जी। वह हँस पड़ा।  तुम भी मुझें पलक जी कहा करो।अच्छा जी,तुम बहुत समझदार हो गई हो। हाँ, दीदी भी यहीं कहती हैं।वह ज़ोर से हँस पड़ा, उसकी हँसी पूरे कमरे में गूँज रही थी।
उसे देख कर पलक भी हँस पड़ी। तुम अच्छे हो,नवीन जी। अच्छा अब सो जाओ।मुझें रोशनी में नींद नहीं आती। ठीक है, लाइट बंद कर देता हूँ।नवीन को आज बड़ा अटपटा लग रहा था।वह कितने समय बाद खुलकर हंसा था?वह इन्हीं विचारों में, ऐसा खोया कि जल्दी ही नींद की आगोश में चला गया। सुबह उसकी आँख देर से खुली।
वह तैयार होकर कॉलेज के लिए निकलना ही चाहता था कि उसने दीदी से पूछ लिया, पलक कहाँ है? पूजा कर रही हैं। सच में,हाँ। वह घर में बने मंदिर की तरफ बढ़ गया। पलक हाथ जोड़कर भक्ति में मगन थी। वह भी भगवान के आगे हाथ जोड़कर, कॉलेज के लिए निकल पड़ा। आज उसका मन बहुत खुश था।
उसे कॉलेज का वातावरण बहुत सुहावना लग रहा था। सामने से हाथ हिलाते हुईं नीना  आ रही थी। सर कैसे हो? अच्छा हूँ। आप सुनाइए, बहुत बढ़िया! एक-एक चाय हो जाए नवीन जी, चाय के बहाने आपका साथ मिल जाएगा। अच्छा जी, आप बातें बहुत अच्छी करती हो। सच्ची! नवीन जी।वह चुपचाप पलक के बारे में सोचने लगा।
कहाँ खो गए? लगता है, मिस वर्ल्ड के खयालों में—–। ऐसी कोई बात नहीं है। नवीन जी, क्या मैं आपके घर चल सकती हूँ? प्लीज मना मत करना,प्लीज—-। छुट्टी के बाद आपके साथ चलूंगी। आपको कोई  काम तो नहीं है। फिर ठीक है, बाद में मिलते हैं। याद रखना, मेरा बड़ा मन है। उनसे मिलने का—। जी-जी कहकर वह क्लास की तरफ बढ़ गई।
उसका मन कह रहा था। आज मेरी बेइज्जती होकर रहेगी।नीना,के सामने आज  सच्चाई आ जाएंगी।उसने दीदी को आज की योजना बता दी।पर वह सोच रहा था।नीना, क्या कहेंगी?मैंने अनपढ़, नासमझ लड़की से शादी की है।कितना घमंड था,मुझें अपने आप पर। छुट्टी के बाद दोनों घर की तरफ बढ़ रहे हैं। नवीन का चेहरा उतरा हुआ था।वह नीना के सामने दिखावा कर रहा था। आज तो मेरा मान-सम्मान सब मिट्टी में मिल जाएगा। जैसे ही उसने घर में कदम रखा। दीदी,सामने ही खड़ी थी।उन्होंने नवीन के साथ मैडम को देख लिया। आगे बढ़कर उसका स्वागत किया।
आइए अन्दर चलिए, जैसे ही उसने कमरें में कदम रखा पीछे से हरी साड़ी में सजी-धजी पलक आ रही थीं। उसने आते ही कहा, नवीन जी आप कॉलेज से  आ गए।ये आपकी फ्रेंड नीना जी हैं। वह चुपचाप पलक को एकटक देखें जा रहा था।वह बहुत शानदार इंग्लिश बोल रही थीं।उसे अपने कानों पर यकीन नहीं हो रहा था। आप बहुत सुंदर हो, मिस वर्ल्ड की तरह। वह चहकते हुए बोली सच्ची।जी सच्ची—। दीदी भी यहीं कहती है।नवीन आज बहुत हैरान था। वह पास बैठी हँस-हँस कर बातें करती जा रही थी। पलक जी,क्या आपको भी किताबें पढ़ना पसंद है? हमारे घर में बहुत सारी किताबें हैं।नवीन जी को पढ़ना बहुत पसंद है। मुझे तो उनसे सुनना पसन्द हैं।उनकी आवाज बहुत मीठी है। कोयल की तरह—। नवीन की खुशी का ठिकाना नहीं था।वह हैरान था पलक इतनी समझदार कैसे हो गई?वह दीदी की तरफ देखने लगा। दीदी ने उसे चुप रहने का इशारा कर दिया। पलक जी आपकी साड़ी बहुत सुंदर है। यह तो नवीन जी की पसन्द है। उनकी पसंद ही इतनी शानदार होती है। वह हँसें बिना ना रह सकी।
आप  सच कह रहीं हैं।तभी तो आप जैसी   मिस वर्ल्ड—-। मिसेज़ वर्ल्ड कहिए न—। अच्छा सर चलती हूँ।अपनी मिसेज वर्ल्ड को संभाल कर रखना। जी-जी कहकर वह हँस पड़ा।दीदी आपने तो कमाल कर दिया। लव यू मेरी प्यारी दीदी। नवीन अब मानते हो ना—।
अब समझदार बनो, कमरे में जाकर पलक का धन्यवाद करो।वह तेरा इंतजार कर रही हैं।वह चहकता हुआ कमरें में घुसा, पलक दरवाजे के पीछे थी। उसने पीछे से नवीन को बाहों में खींच लिया।तुम पढ़ी- लिखी हो। पर उस दिन तो—-। आज तुमने  कमाल कर दिया! क्या दीदी को पता था? फिर भी उन्होंने मुझें कुछ नहीं बताया कि तुम—? बस यूं ही—।इतने दिन से तुम मेरी खिंचाई कर रही थी। क्या अपनी मिसेज वर्ल्ड को —-?उसने पलक को गले से लगा लिया, अच्छा ये तो बता दो,तुम कितनी पढ़ी-लिखी हो?बस आपसे थोड़ी कम, सच—-। सच्ची—–।

राकेश कुमार तगाला

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