कविता

बेटी

नखरें लाख दिखाती सम्भल ही जाती है
शादी के बाद बेटियाँ बदल ही जाती है
माँ के हाथ का बना खाने वाली
बहन भाई से झगड़ने वाली
पापा से हर फरमाइश पूरी करने वाली
अब सबके खाने के बाद खाना खाती है
शादी के बाद बेटियां बदल जाती है
देर तक जागना और देर तक उठना
जोर जोर से हंसने और बोलने वाली
कभी किसी न सुनने वाली
शांत और मधुर स्वर हो जाती है
शादी के बाद बेटियाँ बदल जाती है
माता पिता से संस्कार यही पाती है
बड़ो को मान छोटो को प्यार देना है
अपनी वाणी से किसी को आहत न करना है
सभी को साथ लेकर चलना है
शादी के बाद बेटियां बदल जाती है
— पूनम गुप्ता

पूनम गुप्ता

मेरी तीन कविताये बुक में प्रकाशित हो चुकी है भोपाल मध्यप्रदेश