कविता

बादल

जब-जब बादल आते हैं,
आकाश को सजाते हैं।
प्यारे-प्यारे चित्र बनाकर,
कई आकृति दिखाते हैं।।
सबके मन को भाते हैं,
नए रंग यह दिखाते हैं।
धरती को नहलाते हैं,
हरा-भरा कर जाते हैं।।
जब-जब बादल आते हैं,
आसमान नीला कर जाते हैं।
मौसम को करके सुहाना,
बादल फिर चले जाते हैं।।
जीवन भी ऐसा है सतरंगी,
सुख-दुख दोनों हैं संगी।
कुछ दिन सुख, कुछ दिन दुख,
बादल जैसे हैं सुख-दुख।
— शहनाज़ बानो

शहनाज़ बानो

वरिष्ठ शिक्षिका व कवयित्री, स0अ0,उच्च प्रा0वि0-भौंरी, चित्रकूट-उ० प्र०