कविता

मधुमास आया है

शब्द शब्द कविता के हुए है प्रफुल्लित
वर्ण वर्ण ने नया उल्लास पाया है !
अरे प्रिय !प्रकृति की यह मुस्कान देखो
प्रेममय होके प्रिय मधुमास आया है !
गुन गुन गुन अलि करते है गुंजन
प्रमुदित प्रसूनों पर नया रंग छाया है !
नेह का निमंत्रण भेजा बसुधा ने मानों
बन हमजोली यह ऋतुपति आया है !
धरा मखमली, सरसो खिली पीली पीली
आम्र तरु डाली बौर खूब इतराता है !
वन उपवन सब नए रंग में है सजे
धरा को सजाने मानों ऋतुराज आया है !
हरित हरितिमा से विटप लिपट गये
मलय समीर वृन्दावन हर्षाता है !
मारे पिचकारी कान्हा, रंगी राधा प्यारी
फाग की फुहार लिए मधुऋतु आया है !
बुद्धि हो अलौकिक ज्ञान का प्रकाश मिले
लेखनी की धार नित नित बढ़ती रहे !
‘नीरजा ‘की विनती सुनो हे !वागेश्वरी
आपकी आराधना को ये वसंत आया है !

— नीरजा बसंती

नीरजा बसंती

वरिष्ठ गीतकार कवयित्री व शिक्षिका स्वतंत्र लेखिका व स्तम्भकार, रूश्तमपुर-गोरखपुर,उत्तर प्रदेश