कविता

पिताजी

परिवार की समस्याओं का
एकमात्र समाधान पिता ही तो है,
बच्चे के लिए ईश्वर का रंग-बिरंगा
वरदान पिता ही तो है।
सही कहा था युधिष्ठिर ने
पिता आकाश से ऊँचा है
अँधेरे परिवेश में दिनमान
पिता ही तो है।
पिता देखना चाहता है
बच्चों को उन्नत हिमालय जैसा
पिता का मन गहरा है
समुद्र से भी कहीं अधिक
और पवित्र शिवालय जैसा
पिता के ही बल पर मिलती है
बच्चों को गरिमा,गरिष्ठा
पिता ही तो होता है
परिवार की प्रतिष्ठा
पिता का आदेश होता है
अविचारणीय
संक्षेप रूप में पिता का ही
दूसरा नाम है निष्ठा

— प्रवीणा दीक्षित

डॉ. प्रवीणा दीक्षित

वरिष्ठ गीतकार कवयित्री व शिक्षिका, स्वतंत्र लेखिका व स्तम्भकार, जनपद-कासगंज, उत्तर-प्रदेश