कविता

जिंदगी

जिंदगी को सलीके से जीना है,
तो मत रखो मन में मलाल,
बजने दो आनंद के बाजों को,
नाचो मिलाके सुर-से-सुर और ताल-से-ताल.
जिंदगी सुख-दुःख का मेला है,
मत समझो ये झमेला है,
समय के पहिए हैं ये इसके चलते रहेंगे,
जो न समझे वो रह जाता अकेला है.
अनेक रंग दिखाती है जिंदगी,
गिरकर उठना-संभलना सिखाती है जिंदगी,
सब अपने हैं गैर कोई नहीं,
जीने का ढंग सिखाती है जिंदगी.

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244