एक विद्रोह ऐसा भी!
जहां राजनीति में, समाज में, घर में, देश में जहां देखें उधेड़बुन और उठापटक के कारण रक्तरंजित विद्रोह का ही राज दिखाई दे रहा था, श्यामापुर सौहार्दपूर्ण विद्रोह की मिसाल बना हुआ था.
यह विद्रोह एक चौपाल से शुरू हुआ था और देखते-ही-देखते पूरे श्यामापुर में व्याप्त हो गया.
चौपाल में शादी-ब्याह में फिजूल खर्ची पर अंकुश लगाने के मुद्दे पर सदस्यों के विचार आमंत्रित थे.
“शादी की बारात में रोशनी के लिए हंडे ले आना बंद करना चाहिए.” एक सदस्य ने अपनी राय रखी.
“बारात बिना बैंड बाजे और आतिशबाजी के आनी चाहिए.” एक और राय आई.
“शादी के मौके पर रिवाज के नाम पर बंदूक से गोली चलाना भी बंद होना चाहिए, इससे फिजूल खर्ची पर अंकुश लगने के साथ मार-धाड़, वैर-विरोध भी समाप्त हो जाएगा.”
“दिखावे की आड़ में शादी में बेतहाशा अन्न-धन की बरबादी होती है, उसे रोकने के लिए भी हमें ही आगे आना होगा.”
“दूल्हा बिना घोड़ी के ही दुल्हनिया लेने आ सकता है, क्योंकि घोड़ी के साथ डोली के लिए कार भी अवश्य आती ही है.”
“मैं तो यह भी कहूंगा कि डोली के नाम पर लड़की वालों से कार की मांग करना भी बंद हो. लड़की का बाप तो बिना मोल बिक जाता है.” एक सदस्य ने तैश में आते हुए कहा, शायद वह भुक्तभोगी था.
“मौत के दौरान मृत्युभोज पर भी रोक लगानी चाहिए.”
“हम सब बिलकुल सहमत हैं, बदलते जमाने के साथ हमें भी बदलना चाहिए. इसमें ही हम सबका, देश-समाज का हित समाहित है.” के प्रस्ताव पास होने के साथ ही सभा समाप्त हो गई थी और इन नियमों के पालन से श्यामापुर में खुशहाली के बाजे बज रहे थे.
“एक विद्रोह ऐसा भी!”
“विद्रोह हो तो श्यामापुर जैसा”
पत्रकार अपने ऑफिस में समाचार की सुर्खियां भेज रहे थे.
न बैंड-बाजा और न ही बारात, पाँच बारातियों के साथ आया दूल्हा और ले गया दुल्हन
शादी का मतलब ही होता है बैंड-बाजे और धूम-धड़ाके के साथ बारात का आना, लेकिन कोरोना महामारी ने शादी के बंधन में बंधने वाले जोड़ों के अरमानों पर पानी फेर दिया है। महामारी के फैलाव को रोकने के लिए जारी लॉकडाउन में लोग भी नियमों का पालन कर सादे ढंग से विवाह कर रहे हैं। जिले के घो-रकवालाँ (रामगढ़) में हुई ऐसी ही एक शादी में जम्मू जिले के अरनिया (बिश्राह) से महज पांच बारातियों के साथ आया एक दूल्हा दूल्हन ले गया। शादी में लगभग 20-25 लोग ही शामिल हुए। हालांकि लॉकडाउन के चलते शादी के लिए 50 लोगों की अनुमति दी गई है।
राजस्थान का समाचार
बिना घोड़ी के आना होगा दूल्हे को, तभी मिलेगी दुल्हन, राजस्थान के इस समाज के लोगों ने लिया अनोखा फैसला
Rajasthan News : राजस्थान के पाली जिले में जाट समाज के लोगों ने शादी की फिजूल खर्ची पर अंकुश लगाने के लिए अनोखा निर्णय लिए है। इसके तहत तब दुल्हा बिना घोड़ी के ही दुल्हन लेने जाएगा।
यह कथा कोरी कल्पना नहीं है, ऐसी सकारात्मक-समाजोपयोगी पहल हमारे देश में शुरु हो चुकी है. सिंध में हमारी कम्यूनिटी में आप कितने भी अमीर क्यों न हों, लड़की की शादी में कुल 500 रुपए से ज्यादा खर्च नहीं कर सकते थे. यह हमारी कम्यूनिटी का कानून था, जो सबको पालन करना ही होता था.