बाल कविता

हरषाई तितली

वन उपवन को रंगों से
खूब सजाने आई तितली।

बगिया के नव कलियों पे ,
प्रीत लुटाने आई तितली।

देख महकते फूलों को ,
मन ही मन हरषाई तितली।

खुशियों की जब चली हवा,
मन ही मन मुसकाई तितली।

रंग बिरंगे फूल देख के ,
खुशबू से ललचाई तितली।

— महेंद्र कुमार वर्मा

महेंद्र कुमार वर्मा

द्वारा जतिन वर्मा E 1---1103 रोहन अभिलाषा लोहेगांव ,वाघोली रोड ,वाघोली वाघेश्वरी मंदिर के पास पुणे [महाराष्ट्र] पिन --412207 मोबाइल नंबर --9893836328