गीतिका/ग़ज़ल

ग़ज़ल

सफ़र में हुई जो तुमसे बरसात की बातें।

रह गई अधूरी अपने जज़्बात की बातें।।
वो लड़ना झगड़ना वो आंखें दिखाना।
लगतीं हैं वो अब तलक आज की बातें।।
किससे करूं शिकवा किससे करूं गिला।
बहुत याद आती हैं वो मुलाकात की बातें।।
मुहब्बत के सफर में कहां से कहां आ गए हम।
अब तो होती नहीं वो बेबात की बातें।।
आओ घर कर जाओ कभी दिल में तुम।
खाली मकां हैं और बहकी शुरुआत की बातें।।
दस्तक दे रहीं हैं दिल को वीरानियां।
होती नहीं अब वो सवालात की बातें।।
— प्रीती श्रीवास्तव

प्रीती श्रीवास्तव

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