कविता

दहेज प्रथा

सामाजिक बुराई
दहेज की परछाई
कोई नहीं करता परहेज
सबको चाहिए दहेज
इसके बिना शादियां सूनी
दहेज बेटियों का है खूनी
बेटियों की सुनो व्यथा-कथा
बंद करो दहेज प्रथा
रे मानव ! कर न काला व्यापार
होता बेटियों पर अत्याचार
दौलत के तराजू पर न तोल
रिश्ते होते हैं बड़े अनमोल
बेटे- बेटियों का व्यापार
करो ऐसी प्रथा का बहिष्कार
छीनो न किसी का अधिकार
बेटे -बेटियों को बसाने दो मन का संसार
नई सोच का करो संचार
रे साथी ! थोड़ा करो विचार
— मुकेश कुमार ऋषि वर्मा

मुकेश कुमार ऋषि वर्मा

नाम - मुकेश कुमार ऋषि वर्मा एम.ए., आई.डी.जी. बाॅम्बे सहित अन्य 5 प्रमाणपत्रीय कोर्स पत्रकारिता- आर्यावर्त केसरी, एकलव्य मानव संदेश सदस्य- मीडिया फोरम आॅफ इंडिया सहित 4 अन्य सामाजिक संगठनों में सदस्य अभिनय- कई क्षेत्रीय फिल्मों व अलबमों में प्रकाशन- दो लघु काव्य पुस्तिकायें व देशभर में हजारों रचनायें प्रकाशित मुख्य आजीविका- कृषि, मजदूरी, कम्यूनिकेशन शाॅप पता- गाँव रिहावली, फतेहाबाद, आगरा-283111