कविता

गुरु ज्ञान

 

जीवन में हम सब कुछ ऐसा करें

गुरु कृपा जैसे भी हो प्राप्त करें।

 

भौतिक जीवन में उलझ ही हम न मरें

गुरु का सानिध्य मिले कुछ ऐसा करें।

 

गुरु कृपा से अपना जीवन धन्य बनाएं

गुरु शिक्षा से अपना जीवन महकाएं।

 

गुरु कृपा जब मिले तब हो जीवन अन्य

गुरु शरण में पहुंच भाग्य भी होए धन्य।

 

मातु पिता की शिक्षा का अनादर न कीजिए

गुरु शिक्षा को भवतारण मान स्वीकार कीजिये।

 

मातु पिता गुरु पूर्ण सत्य इतना लीजै जान

इनके चरणों में झुका जो हो निश्चित कल्याण।

 

कितना भी कर लीजिए गुरु शिक्षा का बखान

फिर भी हम सब रहेंगे निश्चित ही अज्ञान।

 

गुरु चरण में स्वयं को सौंप दीजिये आप

बस इतना ही जानिये मन में रहे न पाप।

 

लेते रहिए आप सब सदा गुरु का ज्ञान

बनेगा हर लक्ष्य तब बिल्कुल ही आसान।

 

 

*सुधीर श्रीवास्तव

शिवनगर, इमिलिया गुरूदयाल, बड़गाँव, गोण्डा, उ.प्र.,271002 व्हाट्सएप मो.-8115285921