कविता

कविता – जज़्बा जांबाज़ी भी पूंजी है हमारी

वित्तीय हालत ख़राब है तो क्या हुआ
जज़्बा जांबाज़ी भी पूंजी है हमारी
फ़िर से हिम्मत करके खड़ी करेंगे
वस्तुएं खरीदने की सामर्थ्यता हमारी
कोविड के बाद खुशियों की पारी
बच्चे कर रहे नवरात्र दशहरा दिवाली की तैयारी
वित्तीय हालत ख़राब है वस्तुएं खरीदने की
सामर्थ्यता नहीं है हमारी
कोविड ने ऐसी आर्थिक छड़ी मारी
दो साल से धरी रह गई त्योहारों की फुलवारी
अब चिंता मुक्त फ़िर आई त्योहारों की बारी
परंतु वस्तुएं खरीदने की सामर्थ्यता नहीं हमारी
कैसे बताएं बच्चों से व्यथा हमारी
खाली जेब है जमा पूंजी गई हमारी
रिश्तेदार दोस्त कोई नहीं दे रहे उधारी
कोविड ने नहीं बख्शी किस्मत मारी हमारी
भारतीय हैं भारतीयता पहचान हमारी
हिम्मत हौसला धैर्य है पूंजी हमारी
फ़िर खड़ा करेंगे साम्राज्य आर्थिक स्थिति का
वस्तुएं खरीदने की सामर्थ्यता होगी हमारी-3
— किशन सनमुखदास

*किशन भावनानी

कर विशेषज्ञ एड., गोंदिया