कविता

असली बात छुपा लेते

शब्दों की सुन्दर चयन करते,
और असली बात छुपा लेते।
कई लोग इनाम पाने के चक्कर में,
अपनी कलम की सौदा कर देते।

जो वक्त को न लिख पायेंगे,
वक्त उनका इतिहास भी लिखेगा।
अजी गद्दारी तो गद्दारी है,
चाहे देश से हो या चिन्तन से।

उठाये हो कलम तो सच बोलो,
हर झूठ से पर्दा उठा डालो।
कलम पे है अभिमान अगर तो,
पूर्वाग्रह से नाता तोड़ डालो।

जो शब्द मिले उससे लिखो,
पर केवल तुम सच ही लिखो।
अपना-पराया भूल के तुम,
न्यायादर्श क्या कहता वो लिखो।

अजी कलमकार हैं कुछ सोचो,
नकली असली का अंतर लिखो।
मानवता पुष्पित हो जिससे,
लेखनी से तुम वो सब लिखो।

नाम के पीछे मत भागो जी,
हालात बदलने को लिखो।
मजदूर-किसान की मुक्ति पर,
तुम ताबड़तोड़ कविता लिखो।

— अमरेन्द्र

अमरेन्द्र कुमार

पता:-पचरुखिया, फतुहा, पटना, बिहार मो. :-9263582278