सामाजिक

डिज़ीटलाईज़ेशन का ज़माना है फिर भी लोग परेशान है

माना आजकल हर काम डिज़ीटल टेक्नोलॉजी से आसान हो गया है पर, क्या इस टेक्नोलॉजी का उपयोग करना सभी को आता है? “बिलकुल नहीं” पढ़े लिखे आजकल के लोगों को ऑनलाइन व्यवहार आसान लगता है। पर ऐसे कितने सारे बड़े-बुढ़े सीनियर सिटीजन है जिनको ऑनलाइन व्यवहार का ज्ञान नहीं होता। हर छोटे बड़े काम के लिए दूसरों पर निर्भर रहना पड़ता है।
आज आधार कार्ड ऑफ़िस जाना हुआ, आधार कार्ड में थोड़ा सुधार करने हेतु। वहाँ गये तो पहले सरकारी कर्मचारी ने बोला ऑनलाइन अपोइंटमेन्ट लेकर आईये उसके बाद ही आपका काम होगा। हमने ऑनलाइन अपोइंटमेन्ट लेने के लिए एप खोली, पर सर्वर डाउन की वजह से अपोइंटमेन्ट लिंक खुल ही नहीं रहा था। बड़ी मुश्किल से ऑनलाइन  अपोइंटमेन्ट मिली। दूसरे दिन हम वो अपोइंटमेन्ट लेकर वापस आधार कार्ड ऑफ़िस गये। मोबाइल में अपोइंटमेन्ट भी दीखाई, तब हमें कर्मचारी द्वारा बोला गया इसकी प्रिंट आउट बनवाकर ले आईये उसके बाद काम होगा। हम वापस Xerox वाले को ढूँढते प्रिंट निकलवाने गये। वापस सर्वर डाउन की प्रोब्लम। मुश्किल से बारकोड वाली प्रिंट निकली उसे लेकर गए तब जाकर काम हुआ। सवाल ये है की जो काम हम पर छोड़ा गया कि ये ले आओ, वो करवा कर आओ वही काम कुर्सी पर बैठा कर्मचारी भी कर सकता तो सामान्य काम इतना कठिन नहीं होता। साथ ही वहाँ विधवा पेंशन धारक 65 साल की महिलाएँ अपने कुछ प्रोब्लम लेकर आई थी, जो मेरे पास रोने लगी। कुछ डाॅक्यूमेंटस के लिए सरकारी कर्मचारी उनको परेशान कर रहे थे। न कोई ठीक से जवाब दे रहे थे, न उनकी समस्या सुन रहे थे।
आख़िर सरकारी कर्मचारी होते किस लिए है? लोगों के काम करने के लिए ही न। इतनी अनपढ़ और उम्र दराज महिलाएँ ऑनलाइन व्यवहार से अन्जान कहाँ जाए? कोई हेल्प सेंटर नहीं जो उनकी मदद कर दें। एक-एक चीज़ के लिए विधवा महिलाएँ अपने ही हक के लिए भटक रही थी। ऐसी महिलाएँ कर्मचारी पर मोहताज होती है, पर उनकी कोई सुनने वाला नहीं होता। कुर्सी पर बैठे कर्मचारी 5000 के फ़िक्स पगार वाले होते है जो अपने आप को सूबेदार समझते निम्न स्तरीय भाषा में बात करते लोगों को परेशान करते है। कुछ एक महिलाओं को तो कौन से काउंटर पर कागज़ात जमा करवाने है, कहाँ से फोर्म लेना है और फोर्म मैं मैटर भरना भी नहीं आता उपर से ऑनलाइन व्यवहार।
ऑनलाइन कोई काम एक बार में नहीं होता लगभग हर लिंक का सर्वर डाउन होता है। ऑनलाइन काम करवाने के लिए सरकार को ऐसी स्ट्रांग एप रखनी चाहिए, जो एक बार खोलने पर ही खुल जाए। साथ ही नये कर्मचारियों की भर्ती करके 25 से 30,000 तक की पगार देकर परमानेंन्ट कर्मचारियों को हर ऑफ़िस में रखने चाहिए। और हर सरकारी ऑफ़िस में एक हेल्प सेंटर होना चाहिए, जिससे लोगों के काम जल्दी से हो। साथ ही जिनको ऑनलाइन व्यवहार का ज्ञान न हो उनका काम सहजता से हो। अंधे, बहरे, गूँगे समाज में कोई बोलने वाला नहीं। मौजूदा सरकार को इन सारे सरकारी कार्यालयों पर नज़र रखकर जनता की परेशानियों का हल निकालना चाहिए।
— भावना ठाकर ‘भावु’

*भावना ठाकर

बेंगलोर