गीतिका/ग़ज़ल

ग़ज़ल

मैंने जाना ही नहीं दिल का तकाजा क्या है
और जो दिल में छिपी है वो तमन्ना क्या है

मैं जिधर देखूँ मुझे तू ही नजर आए है
तू ही मुझमें है तो फिर छिपता छिपाता क्या है

तेरी मरजी के मुताबिक ही उठाता हूँ कदम
अब तो बतला दे तेरा ठौर-ठिकाना क्या है

प्यास को लेके मैं निश्चिन्त हूँ हैरान नहीं
मुझको मालूम है साकी का इशारा क्या है

दिव्यता का मैं हूँ तरफदार न पूछो मुझसे
रात कहते हैं किसे दिन का उजाला क्या है

जो अँधेरों से करे प्यार उजालों की तरह
ऐसे आशिक की मुहब्बत का इरादा क्या है

‘शान्त’ दुनिया में तेरे नाम को लेकर आखिर
हो रहा है जो तमाशा वो तमाशा क्या है

— देवकी नन्दन ‘शान्त’

देवकी नंदन 'शान्त'

अवकाश प्राप्त मुख्य अभियंता, बिजली बोर्ड, उत्तर प्रदेश. प्रकाशित कृतियाँ - तलाश (ग़ज़ल संग्रह), तलाश जारी है (ग़ज़ल संग्रह). निवासी- लखनऊ