कविता

एक और पंडित

आज फिर शिकार हुआ
एक और पंडित
कश्मीर में
अपनों की योजनाओं का
गैरों की जालसाजी का
आखिर ये कब तक चलता रहेगा
कोई बताएं
ये भ्रम कब तक पलता रहेगा
तुम अपने मंसूबों में कितने सफल
ये तुम जानों
पर वो सफल हो रहे
भय आतंक उपजाने में
फिर से
सोचो कुछ ओर सोचो
जिससे ना मारा जाये
फिर से निर्दोष कोई …

— व्यग्र पाण्डे

विश्वम्भर पाण्डेय 'व्यग्र'

विश्वम्भर पाण्डेय 'व्यग्र' कर्मचारी कालोनी, गंगापुर सिटी,स.मा. (राज.)322201