कविता

कुछ सपनो के मर जाने से जीवन नही मरा करता

​​सूरज जब अस्तांचल मे जाता
​अगले दिन फिर वह उग जाता

​जग मे नया उजाला लाता
​दिवस, घड़ी और रात बीतती

​जीवन चक्र यूँ चलता रहता
​कुछ सपने तो सच हो जाते

​बन्द पलक मे कुछ रहते
​कुछ उसमे साकार भी होते

​पर कुछ सपने जो टूट जाते
​कांच की तरह बिखर भी जाते

​फिर भी जीवन कब रुकता है
​समय के साथ चलता रहता है

​सबसे बड़ी खूबी यह है
​हर दिन नये सपने पलते है

​और उन्हें हम पूरा करने मे
​जी जान से जुट जाते है

​कुछ सपनो के मर जाने से
​जीवन नही मरा करता है

— ​रचना के वर्मा

रचना वर्मा

जन्मस्थान- गोरखपुर, उत्तर-प्रदेश शिक्षा- एम.ए, अर्थशास्त्र, बी.एड कुछ वर्ष अध्यापन कार्य लेखन में रुचि के कारण कुछ समाचार पत्रिकाओं में ब्लॉग तथा लेख लिखे और फेसबुक पर अपना अंगना मैगजीन से जुड़ कर छंद, माहिया, दोहे और हाइकु जैसी विधाओं से परिचय हुआ । प्रकाशित लेख - संग्रह " कही- अनकही" वर्तमान पता- मुम्बई rachna_ varma@ hotmail.com