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रानी और राजा की भूल ( लघुकथा )

आज विश्व एड्स दिवस है। इसी पर पाठको के लिए यह कहानी लिखी है जो हमारे समाज में लाखों युवा, युवतियों में से दो भटके हुए युवा, रानी और राजा की कहानी मैं यहाँ प्रस्तुत कर रहा हूँ । इस कहानी के पात्र कोई भी हो सकते है, पर यह हमारे समाज की दर्दनाक सचाई बयां कर रहे है। कहानी के पात्रो के नाम काल्पनिक है।

एक गांव की सीधी साधी लड़की, रानी एक बड़े और हर प्रकार से आधुनिक शहर चंडीगढ़ अगले साल अपने सपनो को पूरा करने के लिए नीट की परिक्षायों के लिए कोचिंग लेने आई है। एक पीजी में कुछ अन्य लड़कियों के साथ रहती है। रानी पढ़ाई में होशियार है और अपने डॉक्टर बनने के सपने को साकार करने आई है। उसके पिता, पंजाब का एक किसान है जो अपनी मेहनत से अपनी लाड़ली के सपने पूरा करने में उसका हर प्रकार से हौसला और साथ देते है।

रानी को पीजी में कुछ अन्य लड़कियों के हाव भाव पसंद नहीं। वह छोटी छोटी स्कर्ट्स और टॉप, जो शरीर के कोमल अंगो को दिखाते ज्यादा है और देह की लाज को छुपाते कम है, पहनकर देर रात तक न जाने कैसे कैसे लड़को के साथ घूमती है और उनके साथ बियर भी पीती और न जाने क्या क्या गुल खिलाती है । उसे यह सब पसंद नहीं पर वह अपनी पढ़ाई में मगन रहती है। वह अपने संस्कारों की राह पर चल रही है और उनके दायरे में रहती है। पर आखिर कब तक ?

वह उन जैसे लड़को में से एक, राजा, जो अपने नाम के अनुसार राजाओं के परिवार में पला और बड़ा हुआ है के प्रेम जाल में फंस गई और एक दिन कुछ कमज़ोर क्षणों में जवानी की भावनाओं में भूल कर बैठी।

वह गर्भवती हो गई। जब उसने राजा से बात की तो उसने उसे अपनाने से इंकार किया।

रानी पर तो जैसे पहाड़ सा गिर पड़ा। अब वह क्या करे? उसकी एक भूल की इतनी बड़ी सजा।

पर उसके दुखो का अंत यही नहीं हुआ। जब वह एक हॉस्पिटल में एबॉर्शन कराने गई तो खून के प्रशिक्षण में उसे पता चला की उसे तो एचआईवी संक्रमण है। अपनी भूल के कारण वो भी हज़ारों और लाखों की संख्या के एचआईवी सक्रमण से ग्रस्त लोगो में एक आंकड़ा बन गई है।

कैसे हुआ ?

उसे तो राजा के साथ असुरक्षित यौन संबंध बनाने से हुआ, पर राजा को कहा से यह हुआ ?

क्या ड्रग्स, जो वह अपने मित्र मंडली के संग एक ही सिरिंज और सुई से लेता था ? या उन असंख्यों में से एक लड़की से जिनके साथ उसके जिस्मानी सम्बन्ध कभी रहे हो ? या किसी खून की ट्रांसफ्यूजन से या अपने शरीर पर कोई टैटू ( जो किसी संक्रमित औजार और सुई से) बनाई गई हो ?

कारण कोई भी हो पर उसकी तो ज़िन्दगी बर्बाद हो गई।

उसने एचआईवी की दवाई शुरू की और अपने सपने को साकार करने में जुट गई। और आखिर में उसका सपना साकार हुआ। वह डॉक्टर बन गई।

उसने उसी शहर =के एक हॉस्पिटल में नौकरी मिल गई। एक दिन उसके हॉस्पिटल में एक मरीज़ आया जो बहुत ही बीमार था।

वह राजा था। उसने अपना इलाज समय से नहीं करवाया था और उसे एड्स हो गया था।

एक दिन राजा की मौत हो गई।

उसकी भूल की सजा उसे मिल गई।

वह तो अभी भी सज़ा भुगत रही है।

विश्व भर में और हॉस्पटल्स की तरह उसके हॉस्पिटल में इस दिवस पर एक जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया गया है।

वह स्टेज पर माइक संभालती है और अपनी भूल की कहानी शुरू करती है।

-डॉक्टर अश्वनी कुमार मल्होत्रा

डॉ. अश्वनी कुमार मल्होत्रा

मेरी आयु 66 वर्ष है । मैंने 1980 में रांची यूनीवर्सिटी से एमबीबीएस किया। एक साल की नौकरी के बाद मैंने कुछ निजी अस्पतालों में इमरजेंसी मेडिकल ऑफिसर के रूप में काम किया। 1983 में मैंने पंजाब सिविल मेडिकल सर्विसेज में बतौर मेडिकल ऑफिसर ज्वाइन किया और 2012 में सीनियर मेडिकल ऑफिसर के पद से रिटायर हुआ। रिटायरमेंट के बाद मैनें लुधियाना के ओसवाल अस्पताल में और बाद में एक वृद्धाश्रम में काम किया। मैं विभिन्न प्रकाशनों के लिए अंग्रेजी और हिंदी में लेख लिख रहा हूं, जैसे द इंडियन एक्सप्रेस, द हिंदुस्तान टाइम्स, डेली पोस्ट, टाइम्स ऑफ इंडिया, वॉवन'स एरा ,अलाइव और दैनिक जागरण। मेरे अन्य शौक हैं पढ़ना, संगीत, पर्यटन और डाक टिकट तथा सिक्के और नोटों का संग्रह । अब मैं एक सेवानिवृत्त जीवन जी रहा हूं और लुधियाना में अपनी पत्नी के साथ रह रहा हूं। हमारी दो बेटियों की शादी हो चुकी है।