कविता

मंदिरों में वही पूजा जाता है

मंदिरों में  वही  सदा पूजा जाता है
जो  छेनी-हथोड़े  की चोट खाता है।
जब अनघड़ पत्थर तराशा जाता है
मंदिरों में वही भगवान कहलाता है।

दीपक  तभी  प्रकाशवान  बनता है
जब वह तिल-तिल जलता जाता है।
और वही दीपक प्रकाशित करता है
जो जलने  की  साहस कर पाता है।

कुछ पाने के लिए कुछ खोना पड़ता है
कठिन  संघर्षों से भिड़ जाना पड़ता है।
जो  डटकर, अपना  पसीना बहाता  है
वही तो दुनिया में इतिहास रच पाता है।

जो कोई जितना आग में जलता है
वह उतना  ही कुंदन बनते जाता है।
जो कुंदन बनने की चाहत रखता है
उसे आग में  मंजिल नजर आता है।

— अशोक पटेल “आशु”

*अशोक पटेल 'आशु'

व्याख्याता-हिंदी मेघा धमतरी (छ ग) M-9827874578