राजनीति

गुजरात प्रदेश प्रमुख बीजेपी चंद्रकांत रघुनाथ पाटिल (सी आर पाटिल)

जब सी आर पाटिल को बीजेपी पक्ष प्रमुख गुजरात बनाया गया था तो थोड़ा प्रतिभाव के भाव आए थे उनके गुजराती नहीं होने पर किंतु उन्होंने जब बताया की वे सालों से गुजरात में स्थापित है,उनका जन्म 1955 में चाहे महाराष्ट्र के जलगांव में हुआ था,उन्होंने 1989 में पुलिस कांस्टेबल की नौकरी छोड़ बीजेपी में शामिल हुए थे। कुछ समय तक एक को–ऑपरेटिव बैंक का संचालन भी किया था।नरेंद्र गांधी के सहयोग से वे बीजेपी से जुड़े थे। उनके कशीमराम राणा से काफी रसूख हुआ करता था। उनके बैंक पर आर्थिक संकट आने से वे जेल गए किंतु उन मामलों को सुलजा कर जल्द ही रिहा भी हो गए थे।उस वक्त सूरत की चौरासी सीट के विधायक नरोत्तम भाई पटेल का सहारा मिल गया था। प्रवीण  नाइक और अजय चोकसी के सामने अपनी टीम बना ली थी।
2009 में लंबे समय तक पार्टी के लिए काम कर रहे पाटिल को तब मुख्य मंत्री नरेंद्र मोदी ने मौका दिया और वे नवसारी से लड़कर संसद में पहुंचे थे। जिसमें उन्होंने कांग्रेस के उम्मीदवार धनसुख राजपूत को 1 लाख बत्तीस हजार मतों से हराया था, उन्हे खुद को सवा चार लाख से अधिक मत प्राप्त हुए थे। उसके बाद उनकी पक्ष में प्रगति को कोई रोक नहीं पाया। 2014 में नवसारी में 70.72 प्रतिशत मतों पर कब्जा जमाया, 8,.20 लाख मत प्राप्त हुए, 558116 मतों से जीत हासिल की। ये करिश्मा 2019 में लोकसभा चुनावों में भी जारी रहा और उन्होंने 9,72,739 मतों से जीत हासिल की जो 74.37%थी, जिससे वे देशभर में सबसे ज्यादा मतों से जितने वाले सांसद बने।कांग्रेस के सांसद को 6 लाख से भी अधिक मतों से पराजित किया था।17 वे लोकसभा चुनाव के प्रदर्शन से ही 2020 में बीजेपी गुजरात प्रदेश की को जिम्मेवारी मिली। उनकी प्रबंधन शक्ति की वजह से उनके मतों में होता इजाफा ही पार्टी को उनके संसदीय प्रदेशों में मजबूती प्रदान कर रही है। नवसारी से साथ साथ सूरत में भी पार्टी का स्थान मजबूत करने में उनकी ही रणनीति सफल रही है। उनके संसदीय कार्यालय में आने वालों को बहुत सादर वर्तन किया जाता है, उनके प्रश्नों की तरफ लक्ष दें समाधान करने की ठोस कोशिश की जाती है, नहीं की ढकोसला दिया जाता हैं। उनके दफ्तर में जरूरत अधिकारी और अन्य कर्मचारी भी कार्यों के प्रति समर्पित भाव रखते है। ये पहले सांसद है जिनका दफ्तर आई.एस.ओ. सर्टिफाइड है।
सूरत के हीरा उद्योग और कापड़ उद्योग के विकास के लिए भी वे बहुत कार्यशील है। 2017 में जब बीजेपी को सूरत में थोड़ा कमजोर माना गया था किंतु झटका नहीं लगा अपितु पार्टी ने सभी सीटें जीत ली। 2021 में आप पार्टी पालिका चुनावों में प्रवेश के बावजूद 2022 में 1 भी विधान सभा की सीट नहीं जीत पाई, जबकी आप ने अपने कदावर दावेदारों को मैदान में उतारा था जिसने गोपाल इटालिया भी शामिल थे।
वैसे कुछ पटेल v पाटिल जैसा मामला जीतु वघानी की जगह नवसारी से सांसद 65 वर्षीय सी आर पाटिल का चयन हुआ था।उन्हे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहप्रधान अमित शाह के नजदीकी माना जाता है।उन्हे जनता से सीधा संपर्क बनाए में माहिर माना जाता है।प्रद्योगिकी के मध्य से अपने संसदीय क्षेत्र में विकास कार्यों के लिए भी जाना जाता है। प्रधान मंत्री मोदी के संसदीय क्षेत्र में भी विकास कार्यों को कार्यान्वित करने अग्रणी भूमिका निभाई और समन्वय से कार्य किया था।पिछले दोनों लोकसभा चुनावों में पांच लाख से भी अधिक मतों के अंतर से जीत दर्ज करवाई थी।गुजरात के सर्वाधिक अंतर से मत हासिल करने वालों की सूची में उनका भी नाम शामिल है।
 उनके बारे में काफी विवादों की भी चर्चाएं होती है।स्कूल के अभ्यास के बात आईटीआई से टेक्निकल शिक्षा पाने वाले पाटिल के बातें में लोग केहतें है कि वे आज का काम कल पर छोड़ने वालों में से नहीं है।करोना के इंजेक्शन रेमिडिसीवीर  गुजरात में उपलब्ध नहीं थी तब पाटिल ने अपने स्तर पर वितरण कर विवाद में घिरे थे।कांग्रेस के जोर शिर से उठे विरोध से अभी भी मामला कोर्ट में विचाराधीन है। उनके राजनैतिक विरोधी शराब की तस्करी का भी इल्जाम लगा चुके है।
सीआर पाटिल को बीजेपी की पन्ना प्रमुख मुहिम को और आगे ले जाने का श्रेय है। पाटिल ने अपने मतक्षेत्र में पेज समिति का प्रयोग किया। 2019 के चुनाव में पाटिल ने अनोखा प्रयोग करते हुए अपने लोकसभा क्षेत्र में पेज समितियों का गठन किया। इन्हीं को प्रचार का काम सौंप दिया। अपने क्षेत्र में पाटिल प्रचार के लिए नहीं गए। न ही किसी बड़े नेता की सभा करवाई। इसके बाद भी पाटिल रिकॉर्ड तोड़ मतों से जीते। इसके बाद पाटिल जब 2020 में प्रदेश अध्यक्ष बने तो उन्होंने यह सफल प्रयोग गुजरात में हुए 8 विधानसभा चुनावों में लागू किया। इसके नतीजे भी बेहतर रहे। इसके बाद 2022 के चुनावों में सीआर पाटिल ने पेज समिति के प्रयोग को पूरे प्रदेश में लागू किया। इससे बीजेपी को 156 सीटें जीतने में मदद मिली। गुजरात चुनावों में बीजेपी की ऐतिहासिक जीत के बाद जब पार्टी के संसदीय दल की बैठक में पीएम मोदी का अभिनंदन किया गया, तो पीएम मोदी ने इस जीत का श्रेय सी आर पाटिल को दिया। पाटिल का मौजूदा प्रदेश अध्यक्ष का कार्यकाल अगले साल मार्च-अप्रैल तक है।
वाराणसी की जिम्मेदारी संभाल चुके
पाटिल गुजरात में बीजेपी के सबसे अमीर राजनेताओं में गिने जाते हैं। उनकी संपत्ति की बात करें तो गुजरात इलेक्शन वॉच एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक रिफॉर्म के लिहाज से पाटिल के पास 44.6 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति है जबकि, उनके ऊपर 5.68 करोड़ रुपये का कर्ज भी है। वे गुजरात में सबसे अधिक संपत्ति वाले सांसद गिने जाते हैं। पाटिल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कोर टीम में शामिल रहे हैं। सीआर पाटिल काफी समय तक वाराणसी में प्रधानमंत्री के चुनाव की अहम जिम्मेदारी भी उठा चुके हैं।
सीआर पाटिल की छवि गुजरात में बहुत अच्छी होने से कब बाकी प्रभावशाली नेताओं जैसे केंद्र में स्थान पा ले या तो गुजरात के मुख्यमंत्री पद की कामना भी कर रहे है।सौराष्ट्र में की गई सभा के मंच से उन्होंने रुपानी जैसे प्रदेश प्रमुख से मंत्री बने की बात कुछ मजाकिया लहजे में की थी। देखें अब उनका आगे का सफर गुजरात से केंद्र की और कब शुरू होता है? जैसे अन्य प्रबुद्ध नेता केंद्र में पहुंच गए।
— जयश्री बिरमी

जयश्री बिर्मी

अहमदाबाद से, निवृत्त उच्च माध्यमिक शिक्षिका। कुछ महीनों से लेखन कार्य शुरू किया हैं।फूड एंड न्यूट्रीशन के बारे में लिखने में ज्यादा महारत है।